मनाली की मां रोजरोज सत्संग में भाग ले कर जीवन दर्शन का अर्थ समझने की कोशिश तो करतीं, मगर वे यह जानने का प्रयास कभी नहीं कर पाईं कि नाजुक उम्र के दौर में बेटी मनाली के कदम आखिर बहक क्यों गए थे...