कहीं आप भी तो किसी संकीर्ण मानसिकता को डेट नहीं कर रहीं? क्या आप अपने पार्टनर यानि की प्रेमी के साथ पूरा दिन टाइम स्पेंड करने के बाद भी अच्छा फील नहीं करती? तो समझ जाइए कि आपका पार्टनर संकीर्ण मानसिकता है. संकीर्ण मानसिकता इंसान हमेशा सिर्फ खुद की तारीफ ही सुनना पसंद करता है. वो समझता है कि वह सबसे श्रेष्ठ है. शोध के मुताबिक संकीर्ण मानसिकता कोई अचानक या एकदम से आई बीमारी नहीं होती. ये बचपन से ही होती है. इसमें इंसान अपनी कमियों को दूर करने के लिए खुद को प्यार करने लगता है और खुद को पैम्पर करने लगता है. संकीर्ण मानसिकता समस्या तब बनती है जब, वो आत्मकेन्द्रित हो जाता है और दूसरों की भावनाएं उसके लिए कोई मायने नहीं रखती. इन्हें सिर्फ अपनी तारीफ ही सुनना पसंद होती है. आज का हमारा ये लेख खास इस विषय पर आधारित है. जहां हम आपको संकीर्ण मानसिकता से निपने के तरीके बताएंगे जो आपके रिलेशन शिप में काफी काम आने वाले हैं.
1. दें अच्छी सीख-
आप इस बात को अच्छे से समझ लें कि संकीर्ण मानसिकता किसी की भी अचानक से नहीं होती. ये बचपन से ही पनपने लगती है. ऐसे में आप उउनके प्रति अपना व्यवहार संतुलित रखें. जब वो कोई अच्छा काम करे तो उसकी तारीफ करें, लेकिन गलती पर उसे उसकी गलती का एहसास भी दिलाएं. उसे जितना तैयार आप जीत के लिए करती हैं, उतना ही तैयार हार को अपनाने के लिए भी करें. अच्छी जिन्दगी की अच्छाई और बुराई के बीच सही संतुलन की सीख दें.