धरती पर वायु, जल और ध्वनि का जितना संतुलन रहेगा, उतना ही हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. मगर यह बड़े अफसोस की बात है कि हम जैसेजैसे आधुनिकता की तरफ बढ़ रहे हैं, पर्यावरण पर प्रदूषण का प्रकोप उतना ही ज्यादा होता जा रहा है.

केंद्र और राज्य सरकारें भी प्रदूषण को रोकने के लिए अपने स्तर पर कई तरह के काम करती हैं. ऐसे में लोगों को यह जानने का हक है कि प्रदूषण क्या बला है और यह हमारी धरती को किस तरह नुकसान पहुंचाता है? इसी सिलसिले में हरियाणा प्रदूषण बोर्ड फरीदाबाद की क्षेत्रीय अधिकारी स्मिता कनोडिया से बातचीत की गई. पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश:

लोगों को आसान शब्दों में यह कैसे समझया जाए कि प्रदूषण क्या है और

यह कितने तरीके का होता है?

पर्यावरण में होने वाला हर वह बदलाव जिस का धरती पर मौजूद जीवों पर बुरा असर पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है. चूंकि ऐसे जहरीले तत्त्व हवा, पानी और भूमि की क्वालिटी को खराब करते हैं, इसलिए जल, वायु और ध्वनि ये 3 प्रकार के प्रदूषण हमें सब से ज्यादा प्रभावित करते हैं.

भूमिगत जल प्रदूषण किस कारण से होता है?

इसे प्रदूषण का चौथा प्रकार कहा जा सकता है. हमारे घरों, कारखानों, अस्पतालों आदि से निकलने वाला कचरा भूमिगत जल को खराब करने की सब से बड़ी वजह है. यही ठोस कचरा जमीन के रास्ते धरती के भीतर जा कर भूमिगत पानी को खराब कर देता है.

फरीदाबाद और गुरुग्राम का ऐसा ठोस कचरा बंधवाड़ी लैंडफिल मैनेजमैंट साइट पर जमा किया जाता है. अगर शहरों का ऐसा कचरा ट्रीट किया जा रहा है, तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो वह कचरा धीरेधीरे जमीन के पानी को प्रदूषित कर देता है, जो एक खतरे की घंटी है.

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