शादी का मामला जरा नाजुक होता है, लेकिन रामचंदर बाबू जल्दबाजी में थे. बेटी के लिए आए रिश्ते को हाथ से निकलने नहीं देना चाहते थे. पर पंकज को दाल में कुछ काला नजर आ रहा था.