बच्चा तो एक कोरी स्लेट की तरह होता है वो बहुत सारी चीजों के बारे में तब तक जागरूक नहीं हो सकता जब तक कि माता पिता उसको न समझायें. इसी लिए बच्चे की पहली पढाई तो उसके घर पर ही होती है. माता पिता को इसके लिए बहुत पहाड़ नहीं तोड़ना पड़ता है बस कोशिश करते रहना चाहिए कि

बच्चे को जब समय मिले अच्छी आदते सिखाई जाएं मिसाल के तौर पर हाथ साफ रखने की आदत सिखाना. बच्चों पर एक शोध किया गया तो देखा गया कि वो जीभ से हथेली को चाटना और उस पर दांत लगाने में बहुत आनंद महसूस कर रहे थे. यही बच्चे पेट मे कृमि की तथा पेचिश और अतिसार की समस्या से भी पीड़ित हो रहे थे. इन बच्चों को बार बार हाथ धोने के लिए प्रेरित किया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि पंद्रह दिन बाद वो पेट की बीमारी से मुक्त हो चुके थे.

इसके लिए उनको कुछ जानवरों की कहानियाँ सुनाई जो हाथ नहीं धोते थे और हमेशा डाक्टर के पास जाते थे. यह कहानी बहुत काम की साबित हुई.

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आजकल तो बच्चो को सड़क पर कचरा न फैलाने की , कूड़ा सदैव कूडे़दान मे डालने की , हमेशा किनारे चलने की आदतें कहानी बनाकर सिखाई जाती हैं जो उनको बहुत भाती हैं. यह बहुत जरूरी भी है कि जितना हो सके बच्चे को सफाई पसंद और जागरूक बनाना चाहिए इससे उसका अपना भविष्य बहुत उज्जवल होगा. किसी बाल मनोवैज्ञानिक ने यह बिलकुल सच ही कहा है कि बच्चों को अगर उनकी रुचि के हिसाब से कुछ भी समझाया जाता है तो उसे सारी जिंदगी यह चीजें नहीं भूलती. लेकिन यह बात भी सही है कि छोटे बच्चे को कुछ सिखाना आसान काम नही है. इसके लिए मां को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. हर समय बच्चे का ध्यान रखना पड़ता है, बच्चे ने खाना खाने से पहले हाथ धोए या नहीं,गंदे हाथ साफ किए या नहीं आदि क्योंकि छोटे से मासूम बच्चे यह समझ नहीं पाते कि क्या ठीक है और क्या गलत. इसके लिए उन्हें कुछ खास चीजों को सिखाना बहुत जरूरी है.

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