अफगानिस्तान में मजहबी और सियासती लड़ाई जारी है. मूल में उस का धर्म इसलाम है. कट्टरपंथी तालिबान शरिया कानून का सख्त हिमायती है. वह इंसान के पहनावे से ले कर व्यवहार तक को अपने मुताबिक चलाना चाहता है. वह पुरुष से दाढ़ी रखने व टोपी लगाने और स्त्री से हिजाब ओढ़ने का सख्ती से पालन करवाने वाला है. औरतों के मामले में उस के विचार बेहद कुंठित हैं.
तालिबान औरतों को सैक्स टौय से ज्यादा कुछ नहीं समझता. यही वजह है कि पढ़ीलिखी, दफ्तरों में काम करने वाली और तरक्की पसंद अफगान औरतों में निजाम बदलने से बहुत ज्यादा बेचैनी है. उन्हें मालूम है तालिबान अभी भले यह ऐलान कर रहा हो कि वह औरतों की पढ़ाई और काम पर रोक नहीं लगाएगा, मगर जैसे ही पूरा अफगानिस्तान उस के कब्जे में होगा और तालिबानी सत्ता कायम होगी, औरतों की स्थिति सब से पहले बदतर होने वाली है. उन्हें एक बार फिर अपना कामधंधा और पढ़ाईलिखाई छोड़ कर घरों में कैद रहना होगा. खुद को हिजाब में लपेट कर शरिया कानून का सख्ती से पालन करना होगा.
इस वक्त अफगानिस्तानी गायक, फिल्मकार, अदाकारा, डांसर, प्लेयर किसी तरह अफगान से निकल भागने की फिराक में हैं. तालिबान के कब्जे के बाद से बड़ी संख्या में कलाकारों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है. वजह यह कि तालिबान ने उन्हें शरिया कानून के अनुसार अपने पेशे का मूल्यांकन करने और उस के बाद पेशे को बदलने का फरमान सुना दिया है.
अगर उन्होंने नाफरमानी की तो वे गोलियों का निशाना बनेंगे क्योंकि तालिबान अपना उदारवादी मुखौटा बहुत देर तक अपने चेहरे पर नहीं संभाल सकता है. अमेरिकी सेनाओं की पूरी तरह वापसी के बाद वह अपने असली रंग में आ जाएगा.