महिलाओं में यह गलत धारणा बनी हुई है कि रोज स्क्रबिंग करने से त्वचा को नुकसान होता है, जबकि सचाई यह है कि यदि रोज किसी माइल्ड स्क्रब से त्वचा की स्क्रबिंग न की जाए तो त्वचा पर धूल, गंदगी समेत कई अनावश्यक तत्त्वों की परत जमा होने लगती है, जिस से वह रूखी और बेजान हो जाती है.
स्क्रबिंग जिसे एक्सफोलिएशन भी कहा जाता है, त्वचा से इन्हीं आवश्यक तत्त्वों की परत हटाने की क्रिया है. इसे रोजाना करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि रात को सोते समय हमारी त्वचा में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं. तैलीय कण सक्रिय हो जाते हैं और नई कोशिकाएं पैदा होती हैं. यदि किसी माइल्ड स्क्रब से स्क्रबिंग की जाए तो त्वचा कोमल और आकर्षक बनती है. स्क्रब करने का सही तरीका यह है कि सब से पहले चेहरा गीला कर के हथेली में थोड़ा सा स्क्रब लें, फिर उसे चेहरे पर बाहर की ओर मसाज करते हुए लगाना शुरू करें. स्क्रब हमेशा हलके हाथों से करना चाहिए. आंखों के नजदीक स्क्रब लगाते समय थोड़ी सावधानी बरतें, क्योंकि यहां की त्वचा बेहद नाजुक होती है.
मुंहासों से भी नजात
नियमित रूप से स्क्रबिंग करने से त्वचा की अशुद्धियां और पिगमेंटेशन दूर होती है. रक्तसंचार भी बढ़ता है, त्वचा के रोमछिद्र भी खुल जाते हैं और त्वचा निखर उठती है. कास्मेटोलोजिस्ट डा. राजिका कचेरिया का कहना है कि त्वचा पर से मृत कोशिकाएं हटाए बिना क्लींजिंग और टोनिंग करने से मुंहासे होने की संभावना बढ़ जाती है. यह मृत त्वचा रोमछिद्रों में अवरोध उत्पन्न कर उन्हें बंद कर देती है, जिस से बैक्टीरिया पनपते हैं और मुंहासे निकल आते हैं. रोज स्क्रबिंग करने से रोमछिद्र खुले रहते हैं. इस से ब्लैकहैड्स की समस्या भी दूर हो जाती है. ये ब्लैकहैड्स केराटिन और सीबमयुक्त तैलीय तत्त्वों से बने होते हैं, जिन का हमारी त्वचा से स्राव होता है. डेड सेल्स की मोटी परत जमा होने, अधिक तैलीय त्वचा, डीहाईडे्रशन, अधिक कास्मेटिक्स का प्रयोग व थायराइड या कब्ज जैसी मेडिकल समस्याओं के कारण भी मुंहासे होते हैं. इन्हें दूर करने का भी सब से सरल, सस्ता और आसान उपाय स्क्रबिंग ही है.