गठिया का नाम सुनते ही अधिकतर लोग मान लेते हैं कि आप जोड़ों के घिसाव की बात कर रहे हैं और इससे अधिकतर वृद्ध पीडि़त होते हैं. परंतु वो ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी अस्थिसंधिशोध है. गठिया बाय एक अलग स्थिति है. यह वृद्धावस्था की स्थिति नहीं है. दरअसल, गठिया बाय किसी भी उम्र में हो सकता है, यहां तक कि बच्चे भी इससे प्रभावित हो सकते हैं.
गठिया बाय एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसका अर्थ है कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमारी रक्षा करने की बजाय स्वस्थ ऊतकों (जैसे जोड़ों) पर हमला कर देती है और सूजन और दर्द का कारण बनती है. शुरुआत में यह हाथों के छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है और बाद में कलाई, कोहनी, कंधे, टखने, घुटने आदि जैसे अन्य जोड़ों पर हमला करना शुरू कर देता है. जोड़ों के अलावा यह शरीर के अन्य अंगों जैसे हृदय, फेफड़े, त्वचा, गुर्दे, आंखें आदि पर भी हमला कर सकता है. इसलिए यह मत सोचिए कि गठिया बाय सिर्फ जोड़ों की समस्या है, यह बहुत अधिक गंभीर समस्या है और इसका तत्काल उपचार करना आवश्यक है.
गठिया बाय के उपचार के लिए अब कई दवाएं उपलब्ध हैं, जो गठिया बाय को जल्दी से नियंत्रित करती हैं और इसकी जटिलताओं को रोकती हैं.
यदि आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें-
- 6 सप्ताह से अधिक समय तक जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न होना.
ये भी पढ़ें- दांतों के लिए बेमिसाल हैं लौंग के तेल के फायदे
- सुबह उठने पर या थोड़ी देर बैठने के बाद जोड़ों में 30 मिनट से अधिक समय तक रहनेवाली और बेवजह की जकड़न महसूस होना.