अनन्या और सार्थक एक ही औफिस में पिछले 2 साल से काम कर रहे हैं. सार्थक इसी औफिस में 10 साल से काम कर रहा था, जबकि अनन्या 2 साल पहले ही बदली हो कर यहां आई थी.

3 दिन पहले ही अनन्या ने अहमदाबाद वाले औफिस में बदली हो कर ज्वाइन किया था. औफिस में 3 दिन बाद उस ने अपने कालेज के क्लासमेट सार्थक को देखा, तो खुशी से चिल्ला पड़ी, "अरे सार्थक, तुम यहां...“

"हां, मैं इसी औफिस में काम करता हूं. आप को पहचाना नहीं?” सार्थक को आश्चर्य हुआ कि तुम जैसे अपनेपन वाला शब्द बोलने वाली यह खूबसूरत महिला कौन है? वहीं साथ में काम करने वाले आसपास के कर्मचारी दोनों को हैरानी से देख रहे थे कि कहीं अनन्या को गलतफहमी तो नहीं हुई है.

"सार्थक, मैं अनन्या हूं... जोधपुर में हम एक ही कालेज में साथ में पढ़ते थे.”

अनन्या को आश्चर्य हुआ कि सार्थक ने उसे पहचाना नहीं और थोड़ी झेंप हुई, क्योंकि आसपास सभी सहकर्मी उन दोनों को देख रहे थे कि अनन्या कोई भूल तो नहीं कर रही है.

"ओह सौरी अनन्या, मैं ने तुम्हें पहचाना नहीं. शायद हमें कालेज छोड़े हुए तकरीबन 10 साल से ज्यादा हो गए हैं. अब याददाश्त भी कम हो रही है, उम्र के साथसाथ."

हालांकि 35 साल की उम्र ज्यादा बड़ी नहीं होती है, इस में क्या याददाश्त कम होगी. सार्थक ने बात बनाने की कोशिश की.

सार्थक ने अनन्या को ध्यान से देखा, उस समय कालेज में अनन्या की चोटी हुआ करती थी, पर अभी उस के बाल बौयकट जैसे थे और साथ में आंखों का नंबर का चश्मा भी था. पर यह बात अनन्या को सब के सामने बता नहीं सकता था.

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