आज स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही है. उस स्थिति में स्त्री के गुणों में भी परिवर्तन आया है. सब से बड़ा बदलाव है. आज की लड़कियों का पाक कला के प्रति बढ़ता रुझान है. पहले भी औरत के गुणों में पाक कला की निपुणता थी, पर आज उस की क्लालिटी बदल गई है.
युवतियों ने घर से बाहर की ओर कदम बढ़ाए हैं. आज एकल रहना आम होता जा रहा तो सब से पहले वे सही खाना बनाने की घर से चली आ रही आदत को छोड़ रही हैं. सीए इला को अपनी सर्विस के कारण घर व मातापिता से दूर रहना पड़ रहा है. वह अपनी जौब पूरे कमिटमैंट से करती हुई आगे बढ़ रही है. मगर पीछे छूट गईर् तो खुद खाना बना कर खाने की आदत, जिस के कारण वह आधा वक्त बाहर से खा कर काम चलाती है तो आधा वक्त भूखी ही रहती है, पर खुद खाना नहीं बनाती.
पेशे से वकील रजनी 32 साल की ही है पर तलाकशुदा है. वह अपनी निजी प्रैक्टिस करती है. उस का कहना है, ‘‘मैं पहले खाना बनाती थी पर अकेले के लिए क्या खाना बनाऊं. बाहर से मंगाती हूं व खाती हूं कोई परेशानी नहीं होती. मेरा काम चल ही जाता है.’’
किन कारणों के चलते एक एकल रहने वाली स्त्री खाना बनाने से बचने लगती है?
अकेलापन: एक अकेली युवती को अपने जीवन में कहीं न कहीं एक बात कचोटती रहती है कि वह अकेले जीवन जी नहीं रही बल्कि काट रही है. इस वजह से उस के मन से सब से पहली आवाज यही आती है कि वह खाना क्यों और किस के लिए बनाए? दूसरा कोई साथ हो तभी खाना बनाना अच्छा लगता है और जरूरी भी पर मैं तो अकेली हूं कैसे भी मैनेज कर लूंगी.’’ इस मैनेज शब्द के साथ ही रसोई से वह अपना नाता तोड़ देती है.