लेखिका-विभा प्रकाश श्रीवास्तव
सुं दरता 2 तरह की होती है- एक आंतरिक और दूसरी बाह्य. नैननक्श, रंगरूप मिल कर बाह्य सौंदर्य का निर्माण करते हैं, जो उम्र के साथसाथ ढलता जाता है. फिर भी महिलाएं इसी सुंदरता को बनाए रखने के लिए किसी भी सौंदर्यप्रसाधन को इस्तेमाल करने पर आतुर रहती हैं. नगरों में बढ़ते ब्यूटीपार्लर इस का एहसास कराते हैं, जो जम कर तरहतरह के कैमीकल्स इस्तेमाल करते हैं.
इंगलैंड के प्रसिद्ध चिकित्सा विज्ञानी
डा. आर.एन.थिन और बर्लिन यूनिवर्सिटी के त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. गुटर स्टुटजन लंबे समय से शोध कार्य में लगे हैं. इन दोनों विशेषज्ञों के सम्मिलित प्रयासों से विटामिन ए ऐसिज नामक औषधि की खोज हुई जो त्वचा रोगों के निवारण में सहायक सिद्ध होती है.
त्वचा संबंधी रोग
दोनों विशेषज्ञों के अनुसार कृत्रिम रूप से तैयार किए गए जेवरात पहनने और सिंथैटिक बिंदी लगाने से कई तरह के त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न हो सकते हैं. बालों को लंबे समय तक रंगने से रक्त कैंसर जैसे रोगों को सामना करना पड़ सकता है. सिंथैटिक कपड़ों को खूबसूरती बढ़ाने का माध्यम मानना आम बात हो गई है, जबकि इन में से निरंतर होने वाला स्टैटिक इलैक्ट्रिक प्रवाह यदि हृदय के विद्युत प्रवाह में प्रवेश करने लगे तो परिणाम घातक ही होंगे. शरीर से अधिक रगड़ खाने के कारण ब्लड की बीमारी का शिकार बनना पड़ता है.
चर्मरोग विशेषज्ञों के अनुसार सौंदर्य प्रसाधनों का अत्यधिक प्रयोग करने से ऐलर्जी की शिकायत होना तो सामान्य बात है. चेहरे पर लाली, खुजली और उभरते चकत्तों को देख कर इस का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है. समय रहते इस की रोकथाम न की जाए तो सफेद दाग भी दिखने लगते हैं.