शाम को जब मैं कोर्ट से लौटा तो जैसे घर में सब मेरा ही इंतजार कर रहे थे. स्कूटर की आवाज सुन कर बिट्टू और नीरू दौड़ कर बाहर आ गए. मैं स्कूटर खड़ा भी नहीं कर पाया था कि बिट्टू लपक कर मेरे पास आ गया और उत्साहित हो कर बताने लगा, ‘‘पापा, आप को मालूम है?’’ मैं ने स्कूटर की डिग्गी से केस फाइल निकालते हुए पूछा, ‘‘क्या, बेटा?’’ ‘‘वह पिंकी के पापा हैं न...’’ ‘‘हां, उन्हें क्या हुआ?’’ ‘‘उन्होंने नई कार खरीदी है. देखिए न उधर, वह खड़ी है. कितना अच्छा कलर है.’’
मैं ने दाहिनी ओर मुड़ कर देखा. बगल वाले फ्लैट के सामने नई चमचमाती कार खड़ी थी. तब तक नीरू भी पास आ गई थी. वह आगे की जानकारी देते हुए बोली, ‘‘पापा, नए मौडल की कार है. पिंकी बता रही थी. बहुत महंगी है.’’ ‘‘अच्छा,’’ मैं ने भी बच्चों की खुशी में शामिल होते हुए आश्चर्य प्रकट किया. बिट्टू और करीब आ गया और मुझ से लिपटते हुए बोला, ‘‘मैं तो पिंकी के साथ कार में बैठा भी था. अंकल हम दोनों को घुमाने ले गए थे. खूब मजा आया. उन्होंने हमें मिठाई भी खिलाई,’’ फिर मचलते हुए बोला, ‘‘पापा, हम लोग भी कार खरीदेंगे न?’’ मैं ने बिट्टू को गोद में उठा लिया और प्यार करते हुए कहा, ‘‘जरूर खरीदेंगे.’’ फिर मैं भीतर चला गया और थोड़ी देर तक बच्चों को प्यार से तसल्ली देता रहा. मेरे आश्वासन पर दोनों खुश हो गए और उछलतेकूदते बाहर खेलने चले गए.
कोट उतार कर हैंगर पर लटका दिया, फिर सोफे पर पसरते हुए सविता को आवाज लगाई, ‘‘सविता, एक कप चाय लाना.’’ सविता को भी शायद मेरा ही इंतजार था. बच्चों के साथ बात करते हुए उस ने सुन लिया था, इसीलिए चाय का पानी शायद पहले ही चूल्हे पर चढ़ा चुकी थी. चाय की ट्रे सामने टेबल पर रख कर वह मेरे करीब बैठते हुए बोली, ‘‘आप ने तो बच्चों के मुंह से सुन लिया होगा और बगल वाले फ्लैट के बाहर देखा भी होगा. गौतम भाईसाहब ने नई कार खरीदी है. उन की पत्नी दोपहर में कार खरीदने की खुशी में मिठाई दे गई हैं.’’ फिर मिठाई मेरी ओर सरकाते हुए एक लंबी सांस लेती हुई बोली, ‘‘लीजिए, मुंह मीठा कीजिए, आप के दोस्त ने नई गाड़ी खरीदी है,’’ वाक्य का अंतिम छोर जानबूझ कर लंबा खींचा गया था, ताकि मैं समझ जाऊं कि सूचना के साथसाथ मेरे लिए एक उलाहना भी है.