अपने लंबे बाल कंधे तक कटवा कर मैं ने अपना हेयर स्टाइल पूरी तरह बदल लिया था. ब्यूटीपार्लर हो कर आर्ई थी, इसलिए चेहरा भी कुछ ज्यादा ही दमक रहा था. कुल मिला कर मैं यह कहना चाह रही हूं कि उस रात संजय के साथ बाजार में घूमती हुई मैं इतनी सुंदर लग रही थी कि मेरे लिए खुद को पहचानना भी आसान नहीं था.
फिर मुझे संजय के बौस अरुण ने नहीं पहचाना तो कोई हैरानी की बात नहीं, लेकिन मुझे न पहचानना उन्हें बहुत महंगा पड़ा था.
बाजार में एक दुकानदार ने रेडीमेड सूट बाहर टांग रखे थे. मैं उन्हें देख रही थी जब अरुण की आवाज मेरे कानों तक पहुंची. मैं लटके हुए एक सूट के पीछे थी, इस कारण वे मुझे देख नहीं सके.
‘‘हैलो, संजय. हाऊ इज लाइफ?’’ अरुण की जरूरत से ज्यादा ही ऊंची आवाज सुन कर मुझे लगा कि वे पिए हुए थे.
‘‘आई एम फाइन, सर. आप यहां कैसे?’’ संजय का स्वर आदरपूर्ण था.
‘‘हैरान हो रहे हो मुझे यहां देख कर?’’
‘‘नहीं तो.’’
‘‘लग तो ऐसा ही रहा है. कहां गई वो पटाका?’’
‘‘कौन, सर?’’
‘‘ज्यादा बनो मत, यार. भाभी से छिपा कर बड़ी जोरदार चीज घुमा रहे हो.’’
‘‘मैं अपनी वाइफ के साथ ही घूम रहा हूं, सर.’’ मैं ने अपने पति की आवाज में गुस्से के बढ़ते भाव को साफ महसूस किया.
‘‘वाह बेटा, अपने बौस को ही चला रहे हो. अरे, मैं क्या भाभी को पहचानता नहीं हूं.’’
‘‘सर, वह सचमुच मेरी वाइफ...’’
‘‘मुझ से क्यों झूठ बोल रहे हो? मैं भाभी से तुम्हारी शिकायत थोड़े ही करूंगा. आजकल मेरी वाइफ मायके गई हुई है. अगर मौजमस्ती के लिए खाली फ्लैट चाहिए हो तो बंदा सेवा के लिए हाजिर है. अगर तुम मुझे मौजमस्ती में शामिल...’’