भारत विविधताओं वाला देश है. यहां अलगअलग अवसरों पर अलगअलग परिधान पहनने का रिवाज है. पुराने समय में पुरुष धोतीकुरता और फेंटा जबकि महिलाएं चोली और साड़ी पहनती थीं. समय के साथ भारतवासियों का नए फैशन के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा. वे तेजी से वैस्टर्न फैशन को फौलो करने लगे. मगर उन्होंने अपने पारंपरिक फैशन को नहीं छोड़ा. फिर चाहे बात कपड़ों की हो या फिर गहनों की. इसीलिए तो पश्चिमी पोशाकों के साथ ट्रैडिशनल ज्वैलरी का भी क्रेज बढ़ रहा है. ज्वैलरी डिजाइनर श्रुति संचेती कहती हैं कि आजकल स्टेटमैंट ज्वैलरी का चलन है. इस का मतलब यह है कि अगर आप के पास परंपरागत आभूषण हैं जो आप को आप की दादी या नानी ने दिए हैं और उन का लुक काफी ऐलिगैंट है, तो उन आभूषणों को वैस्टर्न आउटफिट के साथ पहनने पर किसी भी महिला की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाएगी.
आज की व्यस्त दिनचर्या में सोलह शृंगार करने के लिए किसी के पास समय नहीं होता. ऐसे में आप माथापट्टी, नथ, रानीहार, गोखरू, हथफूल आदि कई गहने हैं, जिन्हें कभी भी किसी भी अवसर पर तुरंत पहन कर सुंदर दिख सकती हैं. पोशाक और गहने ऐसे होने चाहिए जो देशविदेश कहीं भी पहने जा सकें. ब्लैक टीशर्ट, जींस के साथ माथापट्टी, गले का हार, हथफूल, गोखरू आदि में से कोई भी एक गहना पहन लेने पर सौंदर्य बढ़ जाता है. हथफूल भी 5 उंगलियों में न पहन कर केवल 1 उंगली में भी पहना जाता है. अगर आप के पास ट्रैडिशनल गहने हों तो फिर क्या कहने, क्योंकि उन जैसी कलाकारी, नक्काशी, आजकल मिलना मुमकिन नहीं. ऐसे गहने पहन कर आप भीड़ में भी अलग दिखेंगी. हैवी गहनों में चोकर नैकलैस साड़ी या सलवारकमीज के साथ सुंदर लगता है. ऐसे ट्रैडिशनल गहने बाजार में भी मिलते हैं, जिन्हें खरीद कर आप पहन सकती हैं.