प्राय: मंगनी होते ही लड़कालड़की एकदूसरे को समझने के लिए, प्यार के सागर में गोते लगाना चाहते हैं. एक बात तो तय रहती है खासकर लड़के की ओर से, क्या फर्क पड़ता है, अब तो कुछ दिनों में हम एक होने वाले हैं, फिर क्यों न अभी साथ में घूमेंफिरें. उस की ओर से ये प्रस्ताव अकसर रहते हैं कि चलो रात में घूमने चलते हैं, लौंग ड्राइव पर चलते हैं. वैसे तो आजकल पढ़ीलिखी पीढ़ी है, अपना भलाबुरा समझ सकती है. वह जानती है उस की सीमाएं क्या हैं. भावनाओं पर अंकुश लगाना भी शायद कुछकुछ जानती है. पर क्या यह बेहतर न होगा कि जिसे जीवनसाथी चुन लिया है, उसे अपने तरीके से आप समझाएं कि मुझे आनंद के ऐसे क्षणों से पहले एकदूसरे की भावनाओं व सोच को समझने की बात ज्यादा जरूरी लगती है. मन न माने तो ऐसा कुछ भी न करें, जिस से बाद में पछतावा हो.
मेघा की शादी बहुत ही सज्जन परिवार में तय हुई. पढ़ालिखा, खातापीता परिवार था. मेघा मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छे ओहदे पर थी. खुले विचारों की लड़की थी. मंगनी के होते ही लड़के के घर आनेजाने लगी. जिस बेबाकी से वह घर में आतीजाती थी, लगता था वह भूल रही थी कि वह दफ्तर में नहीं, ससुराल परिवार में है. शुरूशुरू में राहुल खुश था. साथ आताजाता, शौपिंग करता. ज्योंज्यों शादी के दिन नजदीक आते गए दूरियां और भी सिमटती जा रही थीं. एक दिन लौंग ड्राइव पर जाने के लिए मेघा ने राहुल से कहा कि क्यों न आज शाम को औफिस के बाद मैं तुम्हें ले लूं. लौंग ड्राइव पर चलेंगे. एंजौय करेंगे. पर यह क्या, यहां तो अच्छाखास रिश्ता ही फ्रीज हो चला. राहुल ने शादी से इनकार कर दिया. कार्ड बंट चुके थे, तैयारियां पूरी हो चली थीं. पर ऐसा क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ? पूछने पर नहीं बताया, बस इतना दोटूक शब्दों में कहा कि रिश्ता खत्म. बहुत बाद में जा कर किसी से सुनने में आया कि मेघा बहुत ही बेशर्म, चालू टाइप की लड़की है. राहुल ने मेघा के पर्स में लौंग ड्राइव के समय रखे कंडोम देख लिए. यह देख कर उस ने रिश्ता ही तोड़ना तय कर लिया. शायद उसे भ्रम था मेघा पहले भी ऐसे ही कई पुरुषों के साथ इस बेबाकी से पेश आ चुकी होगी. आजकल की लड़कियों में धीरेधीरे लुप्त होती जा रही लोकलाज, लज्जा की भनक भी मेघा के सरल व्यवहार में मिलने लगी थी. इन बातों की वजह से ही रिश्ता टूटने वाली बात हुई.