फिल्म ‘हीरोपंती’ से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाली 25 वर्षीय अभिनेत्री कृति सैनोन ने मौडलिंग से कैरियर की शुरुआत की थी. लेकिन बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था, जिसे पूरा करने में साथ दिया उन के मातापिता ने. ‘हीरोपंती’ फिल्म कृति के जीवन का टर्निंग पौइंट थी. इस फिल्म में उन के काम की बहुत तारीफ हुई और कई अवार्ड मिले.
बेहद नम्र और हंसमुख स्वभाव की कृति से बात करना रोचक रहा. पेश हैं, कुछ खास अंश:
फिल्मों में कैसे आना हुआ?
मैं दिल्ली की हूं. मेरे पिता राहुल सैनोन चार्टर्ड अकाउंटैंट हैं. मां गीता सैनोन दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफैसर हैं. मेरी 1 छोटी बहन नूपुर सैनोन है, जो अभी पढ़ रही है. पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं ने मौडलिंग शुरू की. उसी दौरान मुझे दक्षिण की फिल्म में काम करने का मौका मिला. लेकिन हिंदी फिल्मों में काम करने की चाह बनी हुई थी. साउथ फिल्म में काम करते हुए ही मुझे हिंदी फिल्म ‘हीरोपंती’ का औफर मिला.
साजिद नाडियाडवाला के साथ आप का 3 फिल्मों का कौंटै्रक्ट था. ऐसे में ‘दिलवाले’ फिल्म में काम करने की वजह क्या थी?
मेरा दोनों फिल्मों में काम करने का अनुभव अद्भुत था. निर्णय बहुत जल्दी लिया गया. ‘हीरोपंती’ के दौरान मैं जिस दिन औडिशन के लिए गई उसी दिन फिल्म साइन की. यहां भी निर्देशक रोहित शेट्टी के यहां से फोन आया. मैं उन के औफिस गई. स्क्रिप्ट सुनने के बाद ही मुझे कहानी अच्छी लगी, तो मैं ने हां कह दी और फिर अगले ही दिन से शूटिंग शुरू हो गई. यह बहुत जल्दी हुआ. मुझे कुछ सोचने का मौका ही नहीं मिला. लेकिन जो भी हो रहा था वह सही हो रहा था. साजिद मुझे बच्चे की तरह ट्रीट करते हैं. उन के और मेरे बीच कोई फौर्मैलिटी नहीं. उन्होंने जब ‘दिलवाले’ की बात सुनी तो खुद ही बधाई दे डाली. अपने कैरियर की दूसरी ही फिल्म में इतने बड़े सितारों के साथ काम करना मेरे लिए गर्व की बात थी.