समय के साथ अब जीवन बीमा में भी बदलाव आ चुका है. अब यह जरूरत और बचत दोनों को पूरा करता है. यह एक ऐसी आर्थिक सुरक्षा देता है, जो व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम करती है. जीवन बीमा पौलिसी जितनी कम आयु में ले ली जाए प्रीमियम उतना ही कम देना पड़ता है और लाभ अधिक से अधिक मिलता है. वैसे जीवन बीमा को बचत की जगह जरूरत ज्यादा मानना चाहिए, क्योंकि इस से बड़े होते बच्चों की शिक्षा, रोजगार व शादी सहित जीवन की और नई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों को उठाने में मदद मिलती है.
भारतीय जीवन बीमा निगम परिवार के हर सदस्य की जरूरत को समझते हुए उस के हिसाब से पौलिसी देता है. जिस से केवल घर के कमाऊ सदस्य को ही नहीं, दूसरे सदस्यों को भी पूरी सुरक्षा मिलती है. ऐसे में यह जरूरी है कि जीवन बीमा को बचत से अधिक जरूरत समझना चाहिए. भारत में जीवन बीमा पौलिसी की शुरुआत भारतीय जीवन बीमा निगम ने की थी.
बीमा यानी इंश्योरैंस एक प्रकार का अनुबंध होता है. 2 या अधिक व्यक्तियों, संस्थाओं में ऐसा समझौता जिसे कानूनी रूप से लागू किया जा सके, उसे अनुबंध कहते हैं. शुरूशुरू में भारत में सरकारी कंपनियां ही बीमा पौलिसियां बेचने का काम करती थीं. मगर अब बहुत सारी प्राइवेट कंपनियों को भी लाइफ इंश्योरैंस, हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसियां बेचने की अनुमति मिल गई है. हाल के कुछ सालों में देश में बीमा कारोबार ने काफी तरक्की कर ली है. बीमा केवल करने और कराने वाले के लिए ही लाभप्रद नहीं है, बीमा कंपनियां देश में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देने का काम भी कर रही हैं.