क्या बड़े होने पर कभी अपने नाम को लेकर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा? इस पर टाइगर ने शर्माते हुए कहा, 'नहीं, स्कूल में कोई दूसरा टाइगर नहीं था, इसलिए हर किसी को लगता था कि मेरा नाम बड़ा ही कूल है. मुझे उम्मीद है कि मैं अपने कॅरियर को उस ऊंचाई तक ले जा सकूंगा जहां अन्य सफल टाइगर जैसे गॉल्फर टाइगर वुड्स, क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी आदि पहुंच चुके हैं. मुझे टाइगर नाम इसलिए मिला क्योंकि बचपन में मेरी दांत काटने और लोगों को नोंचने-खरोचने की आदत थी.'
बता दें कि टाइगर श्रॉफ ने अपनी डेब्यू फिल्म 'हीरोपंती' के प्रमोशन के लिए नागपुर में एक बाघिन को अडॉप्ट किया था और अब वह विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे बाघों को बचाने की अपनी कोशिश को आगे ले जा रहे हैं.
इंटरनैशनल टाइगर डे के मौके पर उन्होंने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अनिल दवे और पेटा इंडिया को पत्र लिखकर बाघों और उसके प्राकूतिक ठिकानों की सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित करने हेतु अनुरोध किया है.
टाइगर ने कहा, 'मैं इस मुद्दे से 'हीरोपंती' के समय से ही जुड़ा हुआ हूं. मैं जागरुकता फैलाकर इसमें बदलाव लाना चाहता हूं.
क्या इसके लिए उन्होंने इंडस्ट्री के अपने सोशल सर्कल से भी सम्पर्क किया है? इसपर उन्होंने कहा, 'मैं जिस बाघिन को मैंने अडॉप्ट किया था (ली) उसके बारे में अपने कॉलीग्स से बात कर रहा हूं और उनसे इस मुद्दे से जुड़ने का अनुरोध कर रहा हूं.
थोड़ी सी मदद जैसे मैंने ली के खाने का खर्च उठाया, इतना भी काफी है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि काम की व्यस्तता के चलते वह ली से उतनी जल्दी-जल्दी नहीं मिल सकते हैं, जैसा कि वह चाहते हैं, लेकिन वह हमेशा सम्पर्क में रहते हैं और इस बात की तसल्ली कर लिया करते हैं कि उसका ध्यान ठीक तरह से रखा जा रहा है या नहीं.