शीर्षक पढ़ कृपया आप चौंकें नहीं. श्रृंगाररस से इतर यह वार्त्तालाप थोड़ा अलग किस्म का है. यह भारतीय पतिपत्नी के बीच दिनप्रतिदिन होने वाले स्पैशल रोमांटिक अंदाज को व्यक्त करता है. जो विवाहित हैं उन्हें समझाने की कोई जरूरत नहीं. यह उन की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा भर है तथा जो सौभाग्यशाली विवाह नहीं कर पाए हैं उन के लिए यह मुफ्त का ट्यूशन लैसन है. मन करे तो सीख लें, मानसिकरूप से खुद को तैयार करें अथवा हमारे सद्अनुभव को मजाक में उड़ा दें. कोई टैंशन नहीं, मरजी पाठकों की है.
किस्सा ट्रेन का है. प्लेटफार्म पर ट्रेन आ कर रुकी और हम लपक कर जनरल कंपार्टमैंट में चढ़ कर सीट हथिया लेते हैं. लेकिन यह बेवजह की फुरती किसी काम की नहीं रहती. कारण, ट्रेन में भीड़ बिलकुल नहीं है. हमारे सामने की सीट पर विंडो साइड एक नवयौवना बैठी है और उस की बगल में एक लड़के ने अपना सामान रख पूरी सीट पर कब्जा जमा लिया है. हमारी बगल में भी एक कालेजगर्ल आ कर बैठ गई है. ट्रेन प्लेटफार्म से रेंगने लगती है.
तभी अचानक इस डब्बे में बैठे सभी यात्रियों का ध्यान उस नवयौवना की तरफ आकर्षित होने लगता है. कान से मोबाइल लगाए, तनिक मस्त अंदाज में वह जोर की आवाज से मोबाइल पर बात करने लगती है. यह वार्त्तालाप बहुत रोचक है. तत्कालीन परिस्थितियों की विचित्रताओं से मिल कर ऐसा मजेदार दृश्य प्रस्तुत करता है कि सभी यात्रियों का ध्यान उस तरफ स्वत: खिंच जाता है. आप भी इस एकतरफा वार्त्तालाप का मजा लीजिए, खुदबखुद समझ जाएंगे कि वार्त्ता किस से चल रही होगी: