साल 1540 में मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा लिखी गयी सूफी कविता पर आधारित फिल्म ‘पद्मावत’ को निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अपने फिल्मी अंदाज और सृजनात्मकता से एक अनोखा रूप दिया है. यह एक एपिक ड्रामा है. इस फिल्म पर उठाये गए सारे विरोध अर्थहीन है. फिल्म पूरी तरह से एक कहानी है, जो इतिहास के पन्नों से प्रेरित है.
संजय लीला भंसाली हमेशा बड़े-बड़े सेट्स और खूबसूरत कौस्टयूम के लिए मशहूर हैं और वही झलक इस फिल्म में भी देखने को मिली. फिल्म की पिक्चराईजेशन बेहतरीन है. इसके लिए सिनेमेटोग्राफर सुदीप चटर्जी बधाई के पात्र हैं. फिल्म में शाहीद कपूर का अभिनय देखने लायक है. उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि सही कहानी और निर्देशन से वे बेहतर अभिनय कर सकते हैं. दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहीद कपूर इन तीनों ने मिलकर फिल्म को बेहतर बनाया है.
कहानी
मेवाड़ के महाराजा रावल रतन सिंह (शाहिद कपूर) सिंघल के राजा के अतिथि बनकर जाते हैं. वहां शिकार करने के दौरान वहां की राजकुमारी पद्मावती (दीपिका पादुकोण) जो एक अच्छी शिकारी है और एक हिरन का पीछा करती हुई राजा रतन सिंह को ही अपने तीर का निशाना गलती से बना देती है. पद्मावती के सामने आने पर राजा उसकी सुन्दरता से इतना मोहित हो जाते हैं कि उसे विवाह कर अपने महल में ले आते हैं, लेकिन राज पुरोहित की एक गलती की वजह से रतन सिंह और रानी पद्मावती उसे देश निकाला देते है. इसका बदला लेने के लिए राज पुरोहित दिल्ली के शासक अल्लाउद्दीन खिलजी (रणवीरसिंह) से मिलकर पद्मावती की खूबसूरती का बखान करता है. अय्याश और घमंडी अल्लाउद्दीन खिलजी कई प्रकार के चाल अपनाकर पद्मावती से मिलने की कोशिश करता है, पर हर बार उसे नाकामयाबी हाथ लगती है. पद्मावती की मजबूत इरादों के आगे उसे हार ही मिलती है. इस तरह कहानी कई परिस्थितियों का सामना करते हुए अंजाम पर पहुंचती है.