धर्म, समाज और परिवार में व्याप्त टैबू जिसमें खासकर महिलाओं की मासिक धर्म को लेकर निर्देशक आर बाल्की द्वारा बनी फिल्म ‘पैडमैन’ अपने आप में खास है. इस फिल्म में ग्रामीण महिलाओं के पर्सनल हाईजीन और स्वास्थ्य के बारे में की  गयी अवहेलना को पूरी तरह से दर्शाया गया है. इसे अभिनेता अक्षय कुमार ने अपने उम्दा अभिनय से और अधिक बेहतर बनाया है और यह सिद्ध कर दिया है कि किसी भी समस्या को अगर फिल्मों के जरिये मनोरंजक रूप से दिखाया जाये, तो वह समाज पर अधिक प्रभाव डालती है.

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हालांकि ये एक सत्य घटना पर आधारित बायोपिक है, जिसमें एक पति का अपनी पत्नी की हर मुश्किलों को आसान करने की हमेशा चाहत को दिखाया गया है. ऐसी फिल्मों को बौक्स औफिस पर हिट कराना मुश्किल होता है, पर इसमें अभिनय करने वाले सभी कलाकार ने काफी मेहनत की है. जिससे फिल्म रोचक बनी है.

कहानी

गांव के लक्ष्मीकांत चौहान (अक्षय कुमार) की शादी गायत्री (राधिका आप्टे) से होती है. उसके परिवार में उसकी दो छोटी बहनें और बूढ़ी मां है. एक दिन माहवारी के दौरान उसके पत्नी का कपडे के प्रयोग को देखकर वह चौंक जाता है. वह पत्नीके लिए बाज़ार से पैड खरीद कर लाता है, लेकिन उसके मूल्य को देखकर उसे प्रयोग करने से मना कर देती है. ऐसे में वह खुद सस्ता पैड बनाने की सोचता है, लेकिन इस काम में उसे प्रयोग कर उसकी गुणवत्ता को बताने वाला उसे कोई नहीं मिलता. जिससे भी वह इसके प्रयोग से अंजाम जानने की कोशिश करता है, वह महिला उसे भला-बुरा कहती है. यहां तक की उसकी पत्नी भी उसका साथ नहीं देती.

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