‘‘मुझे लगता है कि यह बहुत नीच किस्म का आदमी है, इस में कोई सभ्यता नहीं है,’’ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर के इस विवादित और घटिया बयान ने गुजरात में कांग्रेस के मुंह से जीत का निवाला छीन लिया. यह विश्लेषण कितना सटीक है, इस से ज्यादा अहम बात यह है कि यह बयान हकीकत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन की जाति के आधार पर नीचा दिखाने के लिए दिया गया था जिस में हमेशा की तरह मणिशंकर अय्यर की नेहरूगांधी परिवार के प्रति निष्ठा और स्तुति थी.
मणिशंकर अय्यर शायद यह भूल गए थे कि नरेंद्र मोदी जातपांत और धर्म की राजनीति के मामले में उन से कहीं बडे़ विशेषज्ञ हैं. लिहाजा, पलटवार में उन्होंने औरंगजेब और मुगल मानसिकता का जिक्र करते हुए ऊंचनीच को वोटों में तबदील करने में कामयाबी हासिल कर ली. टीवी मीडिया ने भी इस एक शब्द पर घंटों दर्शकों को उलझाए रखा.
राजनीति और राजनीतिक निष्ठाओं से परे देखें तो मणिशंकर अय्यर जातिगत श्रेष्ठता और अहं की भावना यानी कुंठा से साफसाफ ग्रस्त नजर आते हैं. एक बार उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को नालायक तक कह डाला था और नरेंद्र मोदी को सांपबिच्छू कहने से भी वे खुद को रोक नहीं पाए थे.
घटिया और छिछोरी राजनीति का यह वह दौर है जिस में बदजबान नेताओं के मुंह में जो आ रहा है वे उसे बोले जा रहे हैं. बात कम हैरत की नहीं कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ऐसा ज्यादा हो रहा है. भाजपा नेता भी दूसरे नेताओं से बदजबानी के मामले में उन्नीस नहीं हैं. फर्क भाषा, स्तर और घटना का नजर आता है. यह तय कर पाना वाकई मुश्किल काम है कि बदजबानी के मामले में किस पार्टी के नेता भारी और किस पार्टी के कमजोर पड़ते हैं, ऐसी बेहूदी बयानबाजियां करने के पीछे उन की मंशा क्या रहती है.