देश में डिजिटल पेमेंट ने वित्तीय लेनेदेन का पूरा तरीका ही बदल दिया है. नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद से देशभर में डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफा देखने को मिला है. अब इस माध्यम की मदद से लोगों को बिजली पानी के बिल भरने के लिए लंबी कतार में लगना नहीं पड़ता. इस माध्यम को लोगों के बीच इतनी लोकप्रियता सहुलियत और उपलब्धता के चलते मिली है. लेकिन इस बारे में कम ही लोग जानते हैं कि इस सहुलियत के लिए भी शुल्क देना पड़ता है.
आइये जानते हैं कि डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करते दौरान कौन कौन से चार्जेस लगते हैं-
क्रेडिट और डेबिट कार्ड
क्रेडिट और डेबिट कार्ड डिजिटल या इलेक्ट्रौनिक ट्रांजेक्शन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. इसका अधिकांश इस्तेमाल यूटिलिटी बिल (बिजली, पानी, टेलिफोन), टिकट बुकिंग या औनलाइन शौपिंग के लिए किया जाता है. डेबिट कार्ड के लिए बैंक वार्षिक फीस वसूलते हैं हालांकि कुछ डेबिट कार्ड पर कोई सालाना फीस नहीं लगता है.
लेकिन अगर आप क्रेडिट कार्ड का भी इस्तेमाल करते हैं तो इसे ध्यानपूर्वक करें. अगर आप कोई भी क्रेडिट कार्ड बिना उसके नियम व शर्तें जाने करते हैं तो भविष्य में आपको ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं. जो बैंक आपको कार्ड जारी करते हैं वे आपसे सालाना फीस, कन्वीन्यन्स फीस, रीन्यूअल फीस आदि, वसूलते हैं. साथ ही अगर ग्राहक कार्ड की पेमेंट करने के लिए ड्यू डेट से चूक जाता है बैंक इसपर ग्राहक से भारी शुल्क वसूलते हैं.
ई वौलेट
भारत में युवाओं के बीच ई वौलेट्स काफी लोकप्रिय हो गए हैं. इसका इस्तेमाल कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है. क्रेडिट और डेबिट कार्ड की तरह इसमें कार्ड को रखने की कोई जरूरत नहीं होती है. इसके लिए केवल स्मार्टफोन होना जरूरी है. हालांकि इसके जरिए किये जाने वाले बिल भुगतान, फोन रिचार्ज. डीटीएच रिचार्ज आदि मुफ्त में किये जा सकते हैं लेकिन अपने अकाउंट से डिजिटल वौलेट में पैसे ट्रांस्फर करते समय आपको एक्स्ट्रा चार्जेस भरने पड़ते हैं.