आजकल आए दिन बलात्कार की खबरें सुनने को मिलती हैं. कभी दिल्ली की घटना पूरे देश को झकझोर देती है, तो कभी बुलंदशहर राष्ट्रीय राजमार्ग पर मांबेटी के साथ हुई बलात्कार की घटना तो कभी 70 वर्ष की महिला से बलात्कार की घटना.
आप को 5 साल पहले की वह घटना याद होगी जब दिल्ली में चलती बस में एक गैंगरेप हुआ था. पीडि़त लड़की के साथ दरिंदों ने इतना अमानवीय व्यवहार किया था कि कुछ दिन बाद उस की मौत हो गई थी.
बलात्कार की इस घटना के 2 दिन बाद संसद के दोनों सदनों में इस घटना पर जोरदार हंगामा हुआ था. तब गृहमंत्री ने संसद को आश्वासन दिया था कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे. यही नहीं दिल्ली गैंगरेप पर बीबीसी के लिए फिल्मकार लेसली एडविन ने ‘इंडियाज डौटर्स’ शीर्षक से डौक्यूमैंटरी भी बनाई थी, जिस में उन्होंने देश में महिलाओं या लड़कियों के प्रति पुरुषों की मानसिकता को बताने की कोशिश की थी. इस के लिए तिहाड़ जेल में एक आरोपी का इंटरव्यू भी लिया था, लेकिन यह वृत्तचित्र विवाद में आ गया था और उस पर प्रसारण से पहले ही बैन लगा दिया गया. सरकार के आग्रह पर कंटैंट को यूट्यूब से भी हटा दिया गया था.
कैसे मिले इंसाफ
क्या उस क्रूर और अमानवीय घटना को सही इंसाफ मिला? अगर मिला तो कितना सही और कितना गलत और क्यों? हर साल की तरह इस वर्ष भी 16 दिसंबर को टीवी चैनल वाले फिर से उसे याद करेंगे और सरकार की नीतियों पर कुछ सवाल उठाएंगे. फिर कुछ लोग सरकार के पक्ष में तो कुछ विपक्ष में खड़े दिखेंगे.