नए साल का आरंभ आपसी रिश्तों को सुधारने का सब से अच्छा समय साबित हो सकता है. पुरानी पीढ़ी के पास अनुभव की कमी नहीं होती और नई पीढ़ी के पास ऊर्जा भरपूर होती है. अगर अनुभव और ऊर्जा का समावेश एक जगह पर हो जाए तो तरक्की पक्की हो जाती है. कई बार बाप और बेटे के बीच रिश्ते उतने अच्छे नहीं होते जितने दादा और पोते के बीच होते हैं. ऐसी ही दूरियां दूसरे रिश्तों में भी आ रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि नए साल पर परिवार के साथ ग्रैंड पार्टी करें. जिस में हर पीढ़ी के लोग शामिल हों. आमतौर पर पुरानी पीढ़ी ऐसी ग्रैंड पार्टी से दूर रहती है, इसलिए उस को पार्टी में जरूर शामिल करें.
बुढ़ापे में दादा के साथ थोड़ी बात कर उन के अनुभव के विषय में जानकारी ले ली जाए तो दादा का दिल खुश हो जाएगा. बुढ़ापे का खाली समय डिप्रैशन की भावना को जन्म देता है. अगर दादा और पोते के बीच संबंध बेहतर हों, पोते के पास दादा को देने के लिए कुछ समय हो तो दादा के अंदर डिप्रैशन का जन्म ही नहीं होगा. केवल दादा और पोते की ही बात नहीं है. मां और दादी के बीच भी बेटी एक कड़ी हो सकती है. पेरैंट्स और ग्रैंड पेरैंट्स के साथ नए साल की ग्रैंड पार्टी से पीढि़यों के बीच रिश्ते सुधारने में मदद मिलती है. पूरा परिवार सालभर नई एनर्जी को महसूस करेगा.
बीकौम कर रही नेहा बताती है, ‘‘मैं अपनी मम्मी से ज्यादा अपनी दादी के करीब हूं. वे मेरी बात ज्यादा अच्छे से समझ लेती हैं. वे मेरी बात को समझ कर मां को भी मेरी बात समझा देती हैं, जिस से मुझे अपने काम के लिए मम्मी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता.’’