जब जीवन और मृत्यु का सवाल होता है तो हर एक सैकंड माने रखता है. यही वह समय होता है जिस में व्यक्ति को तय करना होता है कि उसे क्या कदम उठाना है. जब हमारे पास किसी मरीज के लिए बेहतरीन विकल्प चुनने के लिए एक घंटे का समय होता है तब हम बहुतकुछ कर सकते हैं, लेकिन जब किसी का जीवन बचाने के लिए सिर्फ कुछ सैकंड्स का समय बचा हो तब मामला अलग होता है. इन दोनों ही स्थितियों में हमारे द्वारा उठाया गया कदम बेहद महत्त्वपूर्ण होता है.

जीवन बचाने के लिए उपलब्ध गोल्डन आवर और गोल्डन सैकंड्स के बीच का अंतर हार्टअटैक होने और किसी को अचानक कार्डिएक अरैस्ट होने के मामले में भी होता है.

इमरजैंसी में गोल्डन आवर

गोल्डन आवर का कौन्सैप्ट उन मामलों में लागू होता है जिन में मरीज को गंभीर चोट आई हो या कोई अन्य मैडिकल इमरजैंसी हुई हो. इस के बाद का पहला एक घंटा बेहद महत्त्वपूर्ण होता है, जिस में सही इलाज और प्रबंधन से मरीज की जान या उस के शरीर के अंगों को खराब होने से बचाया जा सकता है. हालांकि कोई भी कदम पत्थर की लकीर ही साबित हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता है लेकिन ट्रौमेटिक इवैंट के बाद पहले एक घंटे के भीतर मरीज को सही मैडिकल देखभाल मिल जाए तो उस की जान बचने के अवसर कई गुना बढ़ जाते हैं.

हार्टअटैक के मामले में अकसर यह सलाह दी जाती है कि ऐसा होने के बाद पहले एक घंटे के भीतर मरीज को इमरजैंसी केयर मिलनी चाहिए. लेकिन कार्डिएक अरैस्ट के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता है.

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