रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर एक गंभीर समस्या है. इसका सही समय पर उचित इलाज न किया जाए, तो यह लकवा का कारण बन सकता है. ट्यूमर्स कई प्रकार के होते हैं और उनके इलाज भी भिन्न-भिन्न हैं.
कई प्रकार के ट्यूमर्स के ठीक होने की संभावना आज कुछ वर्ष पूर्व के मुकाबले कहीं अधिक है. ये ट्यूमर नियोप्लाज्म नामक नए टिश्यूज की अस्वाभाविक वृद्धि हैं. सामान्यत: नियोप्लाज्म टिश्यूज दो तरह के होते हैं, बिनाइन (जो कैंसरग्रस्त नहीं होते) या मैलिग्नेंट (जो कैंसरग्रस्त होते हैं). किसी अन्य अंग से फैलने वाला कैंसर मेटास्टेसिस ट्यूमर हो सकता है.
स्पाइनल ट्यूमर कैसे पहचानें :
- पीठ और टांगों का दर्द हो सकता है.
- टांगों या बांहों में कमजोरी होना और इनमें सुन्नपन महसूस करना.
- सियाटिका की समस्या और आंशिक रूप से लकवा लगना.
- मल-मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
जांच और इमेजिंग तकनीक एम.आर. आई. जांच से पता चलता है कि ट्यूमर तंत्रिकाओं या नव्रस पर कहां-कहां तक दबाव डाल रहा है. इसके अलावा सी.टी. स्कैन, टेक्नीशियम बोन स्कैन, सी.टी. गाइडेड बायोप्सी या एफएनएसी द्वारा भी ट्यूमर की जांच की जाती है.
इसके अलावा स्कैन जांच से पेट के कैंसर की विभिन्न अवस्थाओं का पता लगाना संभव है.
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ये हैं उपचार के विकल्प :
इसका इलाज इस बात पर निर्भर होता है कि ट्यूमर का प्रकार (बिनाइन या है या मैलिग्नेंट या कैंसरस), कैसा है और उसकी अवस्था कैसी है. मरीज की संभावित उम्र और उसका सामान्य स्वास्थ्य कैसा है. इन सभी बातों को मद्देनजर रखकर ही उपचार की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है.