नेतरहाट झारखंड का इलाका है, यहां आदिवासी बहुत हैं और अधिकतर हिस्सों में जंगलों का फैलाव है. यहां साल, सागवान, सखुआ और बांस के घने जंगल हैं. यहां की स्थानीय भाषा में नेतरहाट का मतलब है, बांस का बाजार. खासतौर से यहां हिंदी और संथाली बोली जाती है.
भारत की ज्यादातर पहाड़ी जगहें इन अफसरों ने अपनी सहूलियत के लिए तलाशी और संवारीं अन्यथा जंगलों के बीच यह खूबसूरत मोती डिब्बे में बंद ही रह जाता. घूमने के लिए यहां कई वाटर फौल्स के अलावा सनराइज़ और सनसेट प्वाइंट भी हैं.
सूर्योदय और सूर्यास्त
इस जगह का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त है. वैसे तो ठहरने की कई जगहों से इसे देखा जा सकता है लेकिन कुछ जगहें इसके लिए खासी मशहूर हैं, जैसे कि टूरिस्ट बंगला, होटल प्रभात विहार के सामने की जगह. नेतरहाट बसस्टाप से एक किमी की दूरी पर यह स्थित है. घने पेड़ों के बीच से लालिमा पूरे उन्माद में जब आकाश में सिंदूरी आभा बिखेरती है तो आंखें विस्मित हो जाती हैं.
यहां से 4 किमी की दूरी पर अपर घाघरी फौल है. चट्टानों के सीने को चीरता पानी पूरे उन्माद में गर्जन करता है. हालांकि यह झरना छोटा है लेकिन बहुत खूबसूरत है. पर्यटक लोअर और अपर घाघरी फौल देखने जरूर जाते हैं.
घने जंगलों के बीच से गुजरते हुए जगह-जगह अंधेरा गहराने लगता है. चिड़ियों की चहचहाहट, झींगुरों का सुरीला आलाप रास्ते भर साथी बना रहता है. तभी पानी के गिरने की आवाज सुनाई देने लगती है. ऐसा लगता है कि कहीं कोई पानी का झरना है. पानी की ठंडक को महसूस करने का एहसास खुशी से भर देता है.