स्वाति भार्गव ‘कैशकरो.कौम,’ जो भारत की सब से बड़ी कैशबैक और कूपन वैबसाइट है, की सहसंस्थापक हैं. अंबाला जैसे छोटे शहर की लड़की स्वाति ने छात्रवृत्ति पा कर ‘लंदन स्कूल औफ इकौनोमिक्स (एलएसई)’ में दाखिला लिया और फिर वहां से निकलते ही ‘गोल्डमैन साक्स,’ लंदन में काम कर के कौरपोरेट वर्ल्ड में दाखिल हुईं.

‘गोल्डमैन साक्स’ में 5 वर्ष गुजारने के बाद स्वाति ने अपने पति रोहन भार्गव के साथ मिल कर 2011 में ‘पौरिंग पाउंड्स’ और फिर 2013 में ‘कैशकरो.कौम’ की नींव रखी और फिर थोड़े ही समय में इस पतिपत्नी की जोड़ी ने कैशकरो.कौम के साथ भारतीय बाजार पर कब्जा कर लिया. स्वाति को ई कौमर्स उद्योग में 10 शीर्ष महिला उद्यमियों में शुमार कर सम्मानित भी किया जा चुका है.

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आइए, स्वाति के इस खूबसूरत सफर पर एक नजर डालते हैं:

इस मुकाम तक पहुंचने में किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा?

मैं भले ही अंबाला जैसे छोटे शहर से हूं, लेकिन मैं ने कभी इसे अपना माइनस पौइंट नहीं माना, बल्कि इस ने मुझे अपने लक्ष्यों को पाने के लिए अधिक मेहनत करने को प्रेरित किया. मैं ने सिंगापुर सरकार से अपनी 10वीं व 12वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की. जब मैं इंटरव्यू के लिए गई तो मुझे एहसास हुआ कि बाकी लोग जो दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों से आए थे गणित, ओलिंपियाड या अन्य राष्ट्रीय स्तर के अवसरों के बारे में बहुत अधिक जानते थे, जबकि अंबाला से होने के कारण मेरी जानकारी बहुत कम थी. कई बार मैं ने खुद को पीछे एक कोने में बैठा पाया, क्योंकि मेरे पास बहुत कम ऐक्सपोजर था.

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