एक जमाना था जब महिलाओं के लिए घर से बाहर काम करना बहुत मुश्किल था. लेकिन वर्तमान समय में बाहरी दुनिया ही नहीं चांद पर भी उन का परचम लहरा रहा है. ऐसे में घर और बाहर को संतुलित करतेकरते एक महिला खुद के लिए समय नहीं निकाल पाती है. बेवक्त खाना, सेहत की अनदेखी, मशीनी बनती जीवनशैली और तनाव के कारण आजकल महिलाएं अनेक बीमारियों से ग्रस्त रहने लगी हैं. कैंसर, हार्ट डिजीज व आर्थ्राइटिस जैसी बीमारियों से आज हर तीसरी महिला ग्रस्त है. इन्हीं में से एक है पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस.

क्या है पीसीओएस

दिल्ली के बीएल कपूर हौस्पिटल की गाइनैकोलौजिस्ट डा. इंदिरा गणेशन बताती हैं, ‘‘महिलाओं के मासिकधर्म में अनियमितता और हारमोनल असंतुलन के कारण यह बीमारी जन्म लेती है. हर 10 में से 5 महिलाएं पीसीओएस की शिकार हैं. उत्तरी भारत की 40% महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण पाए गए हैं.’’ समय पर भोजन न करना, अतिरिक्त तनाव और शरीर की सही देखभाल न करने की वजह से पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के मामले बढ़ते जा रहे हैं. पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम में शरीर की पाचन क्षमता ग्रहण करने वाली ग्रंथियों की क्षमता कम हो जाती है, जिस की वजह से रिप्रोडक्टिव डिसऔर्डर के मामले सामने आते हैं.

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लक्षण

पीसीओएस से ग्रस्त रोगियों में प्राय: निम्न लक्षण देखे जाते हैं:

- मासिकधर्म का नियमित न होना. कई बार 2-3 महीनों तक नहीं होता है.
- चेहरे पर अनचाहे बालों का उगना, ऐक्ने की समस्या जो इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं.
- पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का शिकार होने वाली 50% महिलाओं को मोटापे की शिकायत होती है.

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