फिल्म राजी और गली बौय की सुपर सक्सेस के बाद आलिया भट्ट का नाम बौलीवुड की ए-लिस्ट एक्ट्रेसेस में शामिल हो चुका है. आलिया की नई फिल्म कलंक जल्द ही रिलीज होने वाली है. ऐसे में हमने उनसे एक खास बातचीत की, जिसमें आलिया ने अपने एक्सपीरीयंस, पर्सनल लाइफ और अपकमिंग फिल्म कलंक से जुड़ी कई अहम बातें शेयर की.
फिल्म ‘‘कलंक’’ में किस कलंक की बात है?
-इसका जवाब पाने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी. इस फिल्म में मेरे अलावा माधुरी दीक्षित, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, आदित्य रौय कपूर व वरूण धवन जैसे बड़े कलाकार हैं. मगर इसमें कोई हीरो नहीं है. फिल्म के सभी किरदार महत्वपूर्ण हैं. इन छह किरदारों की जर्नी है ‘कलंक’. अंत में फिल्म ‘‘कलंक’’ प्रेम कहानी है. इसमें इंटरनल लव की बात की गयी है. इसमें निडर व बेपनाह प्यार की बात की गयी है. फिल्म की कहानी 1940 की है, तो स्वाभाविक तौर पर इसमें आपको आजादी से पहले का माहौल नजर आएगा.
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‘‘कलंक’’ की कहानी 1940 की है. 1940 में जो प्यार था और अब जो प्यार है, इसमें आपको कितना फर्क नजर आता है?
-पहले के प्यार में सिम्पलीसिटी थी. अभी हम बहुत ज्यादा कनेक्ट रहते हैं. फोन पर एसएमएस भेजकर या बातें करके जुड़े रहते हैं. अब तो वीडियो कौलिंग के साथ ही मिलना-जुलना काफी होता है. लेकिन 1940 में ऐसा नहीं था, यहां तक कि 90 के दशक में मेरे मम्मी व पापा के पास भी फोन नहीं था. यह दोनों कई दिनों तक बात नहीं करते थे. लेकिन इसके यह मायने नहीं होते थे कि प्यार चला गया. पर आज की तारीख में लोग सोचते हैं कि प्यार में एक दूसरे से ज्यादा जुड़े रहना अच्छा होता है, पर मैं इसे सही नहीं मानती. जरुरी यह है कि जब आप प्यार में हैं, तो आप अकेले भी और सामने वाले के साथ भी खुश रह सकते हो. मजबूत प्यार हमेशा दूरी से ही आता है. उस वक्त लोग दूर रह कर ही अपने प्यार को मानते थे और उनके प्यार में ज्यादा मजबूती होती थी. उस वक्त जब लोग प्यार करते थे, तब उनके लिए प्यार में कोई ‘एक्सपायरी डेट’ नहीं हुआ करती थी. लेकिन आज लोग प्यार में कमिटमेंट करने से झिझकते हैं. मैं भी आज के दौर, आज की ही पीढ़ी की हूं, पर मैं भी इस बात को देख रही हूं कि आज की पीढ़ी का युवा कमिटमेंट करने से झिझकता है.