श्वेता खाना खाकर सोने चली गयी थी. उसका पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले श्वेता रात के खाने पर पति का देर तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आये तो खाने पर उसका इंतजार न करे. इसके बाद देर होने पर श्वेता खाना खाकर लेट जाती थी. इसके बाद भी उसको नंीद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधें के बारे में सोच रही थी. उसको लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात से घर लौटता था. इसके बाद कभी सेा जाता था तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध् बनाने के लिये मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुच चुकी श्वेता को इस तरह संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. कभी तो श्वेता को लगता जैसे पति प्यार न करके बलात्कार कर रहा हो.
श्वेता अपने को यह सोचकर समझाती कि पति की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिये ही शायद शादी होती है. इसलिये उसको पति की जरूरतों को पूरा करना चाहिये. इस जोर जबरदस्ती में श्वेता को 4 साल के विवाहित जीवन में एक दो बार ही ऐसा लगा था कि प्रदीप प्यार के साथ भी संबंध् बना सकता था . ज्यादातर बार श्वेता जोरजबरदस्ती का ही शिकार बनी थी. इसका प्रभाव श्वेता के उफपर कुछ इस तरह पडा कि वह शारीरिक संबंधें से चिढने सी लगी. श्वेता और प्रदीप को एक बेटा था. श्वेता जब कभी अपनी सहेली से बात करती तो उसको पता चलता कि उनका पतिपत्नी का रिश्ता ज्यादा मजे में चल रहा है. श्वेता ने अपनी परेशानी सहेली शालिनी को बतायी . वह श्वेता को लेकर सेक्स कांउसलर के पास गयी.