स्मृति मंधाना भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ओर से खेलने वाली क्रिकेटर हैं. वह आईटीसी के प्रमुख पर्सनल केयर ब्रांड विवेल की ब्रांड अंबेस्टर है. भारत की सब से युवा क्रिकेटरों में से एक होने के नाते 22 वर्षीया मंधाना ने इस खेल में अब तक कई सारे रिकौर्ड और उपलब्धियां अपने नाम किए हैं.
मंधाना को पहली सफलता तब मिली जब वह अक्टूबर 2013 में एकदिवसीय मैच में डबल शतक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. गुजरात के खिलाफ महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए उन्होंने वडोदरा में अल्मबिक क्रिकेट ग्राउंड पर वेस्ट जोन अंडर 19 टूर्नामेंट में 150 गेंदों पर नाबाद 224 रन बनाए.
अपने कैरियर की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक उपलब्धि उन्होंने जून 2018 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई ) की ओर से सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटर होने के तौर पर हासिल किया . इस के अलावा दिसंबर 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद( आईसीसी ) ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर के लिए रेचेल हेयोइ-फ्लिंट अवार्ड से सम्मानित किया है. इस के साथ मंधाना ने आईसीसी की सर्वश्रेष्ठ महिला वनडे खिलाड़ी का खिताब भी जीता है.
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अपनी रैंकिंग में सुधार जारी रखते हुए स्मृति भारत की तीसरी ऐसी क्रिकेटर है जिन्होंने विश्व टी-20 मैचों में 1000 रन बना लिए हैं. स्मृति ने जब गुवाहाटी में इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी -20 मैच का नेतृत्व किया था तो वह भारत की सब से युवा टी -20 कप्तान बन गई.
इस मुकाम तक पहुंचने के लिए आप को किनकिन संघर्षों से जूझना पड़ा? आप की सफलता का राज क्या है ?
जब आप अच्छा प्रदर्शन नहीं करते लेकिन सिर्फ महिला होने के नाते इस खेल में लगातार अपनी जगह बनाए हुए हैं तो आप को उस की कीमत चुकानी पड़ सकती है. एक ओर तो मेरे समकक्ष पुरुष खिलाड़ियों से उन के खेल या प्रदर्शन के बारे में सवाल किए जाते हैं. जब कि मुझ से सिर्फ महिला होने से जुड़े घिसे-पिटे सवाल ही किए जाते हैं. ऐसे में मुझे बड़ी निराशा होती है. मेरी सफलता का राज मुझे मिल रहा सहयोग है जिस कारण मैं सामाजिक दायरे की स्थिति से ऊपर उठ पाई हूं. इस से मुझे स्वतंत्र हो कर विकल्प चुनने में मदद मिली और बिना किसी समझौते के अपने सपनों को साकार करने में जुटी हूँ.