कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो सफलता की राह तक पहुंचते हैं और दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं जबकि कुछ मंजिल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. ऐसा ही कुछ काम किया है इंडोनेशिया के युवक हेंडी ने. उस के पिता कतर में काम करते थे. हेंडी को बचपन से ही पैसे कमाने की ललक थी.
एक बार वह छुट्टियों में पिता के पास कतर गया था. वहां उस ने कबाब खाया, जो उसे बहुत अच्छा लगा. तभी उस के दिमाग में एक आइडिया आया और वह सोचने लगा कि इतनी बेहतरीन चीज आखिर उस के देश में क्यों पौपुलर नहीं है. अगर वह इसे अपने देश में ही बना कर बेचे तो बहुत अच्छा पैसा कमाएगा.
इंडोनेशिया में उस समय तक कबाब लोगों को ज्यादा पसंद नहीं था. घर वापस आ कर हेंडी ने सीमित साधनों के साथ कबाब को जनजन तक पहुंचाने की ठान ली. 2003 में उस ने एक ठेला गाड़ी ली और कबाब बेचने के लिए अपने एक दोस्त को भी साथ ले लिया, लेकिन जब काम ज्यादा अच्छा नहीं चला तो उस दोस्त ने भी साथ छोड़ दिया, लेकिन हेंडी ने हिम्मत नहीं हारी. तब वह कालेज में द्वितीय वर्ष में पढ़ रहा था. उस ने सोचा कि ऐसे तो काम नहीं चलेगा इसलिए उस ने पढ़ाई भी छोड़ दी. परिवार वालों ने इस का काफी विरोध किया. लेकिन हेंडी ने किसी की नहीं सुनी और अपने काम में लगन से जुट गया. धीरेधीरे काम ने रफ्तार पकड़ ली. आज वह दुनिया की सब से बड़ी कबाब चेन ‘कबाब टर्की बाबा रफी’ को सफलतापूर्वक चला रहा है. आज हेंडी की कंपनी इंडोनेशिया के अलावा फिलीपींस और मलयेशिया तक फैल चुकी है. उस की कंपनी में काम करने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और वह 2 हजार को पार कर चुकी है. उस के हजार से ज्यादा आउटलेट्स हैं. इस काम के लिए हेंडी को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. इस तरह उस ने साबित कर दिया कि मेहनत के बल पर इंसान किसी भी ऊंचाई को छू सकता है.