ब्रेस्टफीडिंग कराने की सलाह डौक्टर प्रत्येक महिला को देते हैं चाहे वे किसी भी धर्म और संस्कृति की क्यों न हों. ब्रेस्टफीडिंग से शिशु और मां दोनों को बहुत-से लाभ होते हैं. ब्रेस्टफीडिंग कराने के कई लाभों के बावजूद, ब्रेस्टफीडिंग संस्कृति धीरे-धीरे कम हो रही है और बोतल-फीडिंग संस्कृति द्वारा इसे खत्म किया जा रहा है. यह निम्नलिखित तरीकों से बच्चे को लाभान्वित करता है –
1. डाइजेशन के लिए है बेस्ट
कोलोस्ट्रम यानी दूध, जो ब्रेस्ट, शुरुआती दिनों में बनाते हैं, वे बच्चे के पाचनतंत्र को विकसित करने और उसके अनेक क्रिया-कलाप करने में सहायता करता है. यह भी देखा जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग करने वाले शिशुओं को बोतल से दूध पिलाने वाले शिशुओं की तुलना में कम कब्ज और पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं.
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2. बेबी रहता है बीमारियों से दूर
ब्रेस्ट के दूध में मौजूद एंटी-बायोटिक बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता अर्थात बिमारी से लड़ने की क्षमता के निर्माण में मदद करता है जिससे बच्चे को संक्रमण, दस्त, अस्थमा, मोटापा, एलर्जी आदि होने का खतरा कम हो जाता है.
3. बेबी के विकास में करता है मदद
यह बच्चे के मस्तिष्क के प्रारंभिक विकास में भी मदद करता है. हालांकि, संज्ञानात्मक कौशल और इसके बाद के प्रभाव के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता.
4. SIDS (सडन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम) का शिकार होने से बचते हैं बेबी
जिन शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाई जाती है, उनमें SIDS (सडन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम) का शिकार होने की कम संभावना रहती है. SIDS (सडन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम), एक ऐसी स्थिति है जिसमें शिशु के पीड़ित होने के कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है लेकिन बिस्तर पर रखे जाने के बाद मृत पाया जाता है.