मौडलिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाली डायना पेंटी ने फिल्म ‘कौकटेल’ से अपना फिल्मी सफर शुरू किया. फिल्म अच्छी चली और डायना ने अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई. लम्बी और पतली कद काठी की डायना ने फिल्में अधिक नहीं की, पर वह विज्ञापनों में काफी सफल रहीं. पारसी पिता और इसाई मां के परिवार में जन्मी मुंबई की डायना पेंटी हिंदी फिल्मों में आने के लिए अच्छी हिंदी सीख रही हैं, ताकि अभिनय के अलावा संवाद भी अच्छी तरह बोल सकें. हंसमुख स्वभाव की डायना आने वाली फिल्म ‘लखनऊ सेंट्रल’ में पत्रकार की भूमिका को लेकर काफी खुश हैं, पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.
आपने फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ में ग्लैमरस भूमिका की है, जबकि इसमें साधारण भूमिका निभा रही हैं, इसमें खास क्या लगी?
इस फिल्म में मेरी भूमिका सबसे अलग है, कौकटेल में एक शर्मीली लड़की, हैप्पी भाग जाएगी में पूरी अपोजिट भूमिका थी. ये रियल लड़की की भूमिका है. पत्रकार के साथ-साथ एन जी ओ वर्कर भी है. उसका बातें करना, हाव-भाव सब बहुत ही साधारण लड़की की तरह है. मैंने अपनी रियल जिंदगी में भी कई बार एन जी ओ के साथ काम किया है. मुझे पता है कि कैसे काम करना पड़ता है. उसकी साहस उसकी आत्मविश्वास ये सब मेरी जिंदगी से काफी मेल खाता हुआ है. इस फिल्म में मैं गायत्री कश्यप की भूमिका निभा रही हूं, जो कैदियों की अधिकार के लिए लडती है. उसे ध्यान में रखते हुए मैंने इसमें काम किया है, जो मुझे आकर्षक लगी.
तैयारियां क्या-क्या करनी पड़ी?