कहानी का अर्थात प्रीत पैदा करने की कथा:

एक समय की बात है. एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे गांव में रहती थी. एक दिन उस का पति नदी में स्नान करने गया.

पति की आवाज सुन कर पत्नी करवा भागी चली आई और आ कर मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया. मगरमच्छ को बांध कर वह यमराज के पास पहुंच कर कहने लगी, ‘‘हे भगवन, मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है. उसे पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नर्क में ले जाओ.’’

यमराज बोले, ‘‘अभी मगर की आयु शेष है, अत: मैं उसे नहीं मार सकता.’’

इस पर करवा बोली, ‘‘अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप दे कर नष्ट कर दूंगी.’’

यह सुन कर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आ कर मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी.

हे करवा माता, जैसे तुम ने अपने पति की रक्षा की वैसे सब के पतियों की रक्षा करना.

इस कथा को मूल बता कर अगली कड़ी में कहानी का पार्ट-2 अर्थात भय पैदा करने की कथा सुनाई जाती है ताकि पति की दीर्घायु के लिए जो व्रत किया है उसे अगर हलके में लिया तो पति को खो दोगी.

एक बार एक ब्राह्मण लड़की मायके में थी, तब करवाचौथ का व्रत पड़ा. उस ने व्रत को विधिपूर्वक किया. पूरा दिन निर्जला रही. कुछ खायापीया नहीं. उस के सातों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी, पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी.

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