फिल्म ‘नो एंट्री’ से इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाने वाले निर्माता निर्देशक अनीस बज्मी कौमेडी फिल्मों के लिए जाने जाते है. उन्हें हमेशा से ही कौमेडी लिखना पसंद था, लेकिन इसको सही दिशा मिली, फिल्म ‘नो एंट्री’ से, जिसमें उनके काम को दर्शकों ने काफी सराहा. इसके बाद उन्होंने कई हास्य फिल्में बनायीं,जिसमें वेलकम, सिंह इज किंग, मुबारकां आदि कई है. अनीस मानते है कि जीवन में हंसना जरुरी है, क्योंकि आज के तनाव भरे माहौल में ऐसी फिल्में दर्शकों को ताजगी देती है, हालांकि इसके लिए कड़ी मेहनत उन्हें करनी पड़ती है, ताकि हंसी का आलम लगातार बनी रहे, जिसमें वे कास्टिंग को अधिक अहमियत देते है. उनकी फिल्म ‘पागलपंती’ के प्रमोशन पर उनसे बात करना रोचक था, पेश है कुछ अंश.
सवाल-फिल्म की सफलता को लेकर कितना प्रेशर महसूस कर रहे है, क्योंकि सफलता का श्रेय कलाकार को मिलता है, जबकि असफलता का जिम्मेदार निर्देशक को कहा जाता है?
ये सही है कि निर्देशक को फिल्म का कैप्टेन कहा जाता है, क्योंकि अगर शिप डूबती है तो कैप्टेन को ही जिम्मेदारी लेनी चाहिए, लेकिन फिल्म एक टीम वर्क है. अकेले कोई कुछ भी नहीं कर सकता. सारे कलाकार ही होते है, जो हमारी सोच को दर्शकों तक अपने सटीक अभिनय कर द्वारा पहुंचाते है. उन्होंने अगर अभिनय सही नहीं किया तो हमने जो लिखा है उसका अर्थ अलग हो जाता है. इसलिए मैंने इसमें बहुत बड़े एक्टर न लेकर सीधे सादे कलाकार लिए है, जो अभिनय अच्छी तरह कर कहानी को पर्दे पर उतार सकें. बड़े कलाकार के साथ काम करने में मुझे डर लगता है. प्रेशर की बात करें, तो मैं एक समय में केवल एक ही फिल्म करता हूं. इसके अलावा इंडस्ट्री में लास्ट फिल्म की सफलता को बहुत बड़ा माना जाता है. वह अगर फ्लॉप हो जाय, तो पहले की कामयाबी को भी कोई नहीं देखता. आप पर प्रेशर बन जाता है.