“निधि दयानन्द जी की इकलौती लड़की थी.वो खूबसूरत होने के साथ-साथ बहुत ही गुणवान भी थी . निधि अब 25  साल की हो चुकी थी और उसके माता- पिता को उसकी शादी की चिंता सताने लगी थी.एक दिन दयानन्द जी अपने दोस्त कमलाकांत के घर गए. वहाँ उनके दोस्त का लड़का छुट्टियों में घर आया हुआ था. उसका नाम ऋषभ था . ऋषभ एक सॉफ्टवेर इंजिनियर था.दयानन्द जी ने ऋषभ से बातचीत की उनको ऋषभ बहुत ही अच्छा लगा. उन्होने अपने दोस्त कमलाकांत-जी  से ऋषभ और निधि की शादी की बात की. उनके दोस्त ने कहा की आपने तो मेरे मुंह  की बात छीन ली. मै तो कबसे निधि को अपने घर की बहु बनाना चाहता हूँ. पर एक बात है ऋषभ की हाइट  निधि से थोड़ी कम है. इस पर निधि के पापा ने कहा की इतना अच्छा लड़का है ,संस्कारी है,थोड़ी बहुत ऊँच-नीच तो चलती  रहती है. निधि के पापा बोले मैं  एक बार निधि से बात कर लूँ आप भी ऋषभ से पूछ लीजिये. निधि के पापा खुशी मन से घर आए .

जब कमलाकांत जी ने ऋषभ से बात की और निधि को फोटो दिखाई तो ऋषभ को निधि पसंद तो आई लेकिन अपनी हाइट को लेकर उसे कॉम्प्लेक्स हो गया. उसने अपने पापा से कहा  कि मेरी हाइट उससे कम है, हमारी जोड़ी सही नहीं होगी. लेकिन पापा के कहने पर ऋषभ निधि से मिलने को तैयार हो गया.

घर आकर दयानन्द जी ने भी ऋषभ की  फोटो घरवालों को दिखाई और  शादी की बात की. दयानन्द जी ने ऋषभ की इतनी तारीफ की कि घर के सभी लोग शादी के लिए तैयार हो गए लेकिन निधि ऋषभ की हाइट की वजह से शादी को लेकर अनमनी सी  थी. दयानंद जी निधि के मन की बात समझ गए. उन्होंने निधि से कहा ,एक बार तुम ऋषभ से मिल लो अगर न पसंद आए तो मत करना शादी. अब जाकर निधि के चेहरे पर मुस्कान आ  गयी.

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