गर्भावस्था के दौरान महिला को कई शारीरिक और भावनात्मक बदलावों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में मां और जन्म लेने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि गर्भधारण करने से पहले ही प्लानिंग कर ली जाए. गर्भावस्था के 4 चरण होते हैं- पूर्व गर्भावस्था, गर्भावस्था के दौरान, प्रसव अवधि और प्रसव के बाद. आइए, जानते हैं इन चारों चरणों के दौरान रखी जानें वाली सावधानियों के बारे में:

गर्भावस्था से पहले

अगर आप मां बनने की योजना बना रही हैं तो सब से पहले किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें. इस से आप को स्वस्थ प्रैगनैंसी प्लान करने में सहायता मिलेगी. गर्भधारण करने के 3 महीने पहले से जिसे प्रीप्रैगनैंसी पीरियड कहते हैं, डाक्टर के सुझाव अनुसार जीवनशैली में परिवर्तन लाने से न केवल प्रजनन क्षमता सुधरती है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं भी कम होती हैं और प्रसव के बाद रिकवर होने में भी सहायता मिलती है.

प्रैगनैंट होने से पहले अपनी मैडिकल हिस्ट्री डाक्टर से जरूर डिस्कस करें और निम्न बातों पर फोकस रखें:

- कहीं आप को डायबिटीज, थायराइड, अस्थमा, किडनी, हार्ट डिजीज वगैरह तो नहीं है. यदि ऐसी कोई शिकायत है तो प्रैगनैंसी से पहले उसे कंट्रोल जरूर कर लें.

- गर्भ से पहले एचआईवी, हैपेटाइटिस बी सिफिलिस आदि टैस्ट जरूर करवा लेने चाहिए ताकि प्रैगनैंसी या डिलिवरी के समय यह इन्फैक्शन बच्चे में न चला जाए.

- आप को ब्लड टैस्ट करा कर यह भी देख लेना चाहिए कि चिकनपौक्स जैसी बीमारियों से बचाने वाले टीके लगे हैं या नहीं. कहीं आप को इन बीमारियों का खतरा तो नहीं, क्योंकि ऐसे इन्फैक्शन कोख में पल रहे भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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