देशभर में लॉक डाउन के कारण महानगरों समेत 104 शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर में 25 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. दुनिया में बढ़ते वायु प्रदूषण से हर साल 10 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. विश्व में हर 10 में से 9 लोग अशुद्ध हवा में सांस लेते हैं. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण दुनिया भर के लोगों की आयु औसतन 3 साल कम कर रहा है. वायु प्रदूषण से सालाना 88 लाख लोग असमय मौत के मुंह में समा जाते हैं.
1. हर एक होता है प्रभावित
वायु प्रदूषण प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करता है, चाहे वह अमीर हो या गरीब, बुढा हो या बच्चा, पुरूष हो या महिला, शहरी हो या ग्रामीण. वायु प्रदूषण धीरे धीरे महामारी का रूप ले रहा है. हालांकि पिछले कुछ दशकों से धूम्रपान की तुलना में वायु प्रदूषण पर कम ध्यान दिया जा रहा है. हर साल मलेरिया की तुलना में यह तीन गुणा अधिक लोगों की जान लेता है.
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2. स्ट्रोक्स व लंग्स कैंसर का खतरा
लम्बे समय तक वायु प्रदूषण के सम्पर्क में रहने से हृदय और रक्त धमनियां प्रभावित होती हैं, जो मौत का बड़ा कारण है, वहीं लंग केंसर, श्वसन तंत्र संक्रमण और स्ट्रोक्स का आना, यह सब वायु प्रदूषण के चलते होता है.
3. वृद्धों के लिए सबसे नुकसानदेह
वृद्ध वायु प्रदूषण से सबसे प्रभावित होते हैं. वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो वायु प्रदूषण की वजह से मरने वालों में ज्यादातर 60 साल से अधिक उम्र के 75 प्रतिशत लोग थे, कुल मिलाकर देखा जाए तो इससे सबसे ज्यादा मौतें होती हैं. ऐसे में यदि मानवीय गलतियों को सुधारा जाए तो वायु प्रदूषण से होने वाली दो तिहाई मौतों से बचाव संभव है.