कोरोना वायरस का फैलाने में मूक वाहक यानि साइलैंट कैरियर्स का भी योगदान रहा है. कुछ लोगों में खांसी, बुखार या कोई अन्य कोरोना का सिम्पटम नहीं होता है पर वे इस वायरस के प्रसार में सक्षम हैं. वाशिंगटन डीसी की जौर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के अनुसार यह संभव है. ऐसे साइलैंट कैरियर्स बेरोकटोक समाज में अपने दोस्तों या प्रियजनों से मिलते हैं और अनजाने में कोरोना का प्रसार करते हैं. हालांकि कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद रोग के सिम्पटम नहीं होना अचंभित करता है फिर भी यह सच है.
कितने लोग मूक वाहक श्रेणी में आते हैं और उन में कितनों का कोरोना के फैलाव में योगदान है, इस बारे में कुछ निश्चित नहीं है और इस दिशा में और ज्यादा जानने का प्रयास हो रहा है. मूक वाहकों को 3 श्रेणियों में रख कर इस का विश्लेषण किया गया है.
एसिम्पटोमैटिक: ये वे लोग हैं जिन के शरीर में कोरोना वायरस है पर उन में कभी भी वायरस का कोई लक्षण नहीं प्रकट होता है. चीन से मिले एक आंकड़े के अनुसार कहना है कि covid-19 के रोगियों के संपर्क में रहे कुछ लोगों में वायरस का कोई भी सिम्पटम नहीं रहा था. ऐसे लोगों का टेस्ट करने पर वे पौजिटिव पाए गए. फिर बाद में भी फौलोअप के लिए उन्हें बुला कर टेस्ट करने पर भी उन में वायरस का कोई सिम्पटम नहीं था. 1 अप्रैल को ङ्ख॥हृ के अनुसार चीन में ऐसे 24 लोगों की जांच करने पर करीब 3 सप्ताह बाद तक भी 25% में कोई सिम्पटम नहीं था और आश्चर्य की बात तो यह है कि उन की औसत उम्र 14 साल थी.