जिन लोगो का स्किन टोन डार्क और सांवला होता है, चाहे वो लड़का और लड़की दोनों को ही काफी कुछ सहना और सुनना पड़ता है. ख़ास लड़कियों उनके रिश्तेदारों द्वारा, दोस्त और बाकी की सोसाइटी के द्वारा उन्हें काफी कुछ कहा जाता है.
उन्हें बताया जाता है की जिनका स्किन टोन डार्क होता है उन्हें अच्छी जॉब नहीं मिलती, न ही उनकी कही जल्दी से शादी होती है. अपने काफी बार टीवी और कई इश्तेहारों में भी देखो होगा की मार्केट में कई ऐसी क्रीम और ट्रीटमेंट ये दावा करते है की जिन लोगो का स्किन डार्क है, वो लोग उनकी क्रीम और ट्रीटमेंट लेकर अपना रंग लाइट कर सकते है .
फेयर एंड लवली
इन्हीं सभी तरह की क्रीमों में से एक क्रीम जो काफी पॉपुलर हुई है, वह है फेयर एंड लवली.यह क्रीम सन 1975 में, हिंदुस्तान यूनीलीवर ने लॉन्च की थी, इस दावे के साथ कि यह 'रंग गोरा करती है'. इसका चलन इतना बढ़ा कि देश में गोरेपन की क्रीम के बाजार का 50-70 फीसदी हिस्सा "फेयर एंड लवली" के पास ही है. आंकड़ों की मानें तो "फेयर एंड लवली" ने साल 2016 में 2000 करोड़ क्लब में प्रवेश किया, जिससे पता चलता है कि भारत में गोरा करने वाली क्रीम की खूब बिक्री हैं.
हालत यह कि लोग, गोरी स्किन पाने के लिए इन पर काफ़ी पैसे ख़र्च कर देते है और नतीजा कुछ नहीं निकलता है.
ये भी पढ़ें- करैक्शन : सोशल नहीं, बोलिए फिजिकल डिस्टेंसिंग
भेदभाव का आरोप
यही नहीं फेयर एंड लवली को लेकर कई सारे लोगों ने आरोप भी लगाये थे. खासकर स्किन कलर को लेकर कंपनी पर भेदभाव करने का आरोप .