जमशेदपुर की ज्योति मध्यवर्गीय युवती है, जो बैंगलुरु की एक कंपनी में इंजीनियर है. ज्योति आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर व शिक्षित है पर उस के अभिभावकों को उस की शादी की कुछ ज्यादा ही चिंता थी, क्योंकि उन की इकलौती सांवली है. कुछ दिन पहले उस के मातापिता ने उस की शादी तय कर दी पर भावी ससुराल वाले उस के सांवलेपन की अप्रत्यक्ष दुहाई दे कर दहेज के लिए मुंह फाड़ने लगे, तो ज्योति ने सख्ती दिखाते हुए खुद रिश्ते से इनकार कर दिया. हालांकि इस के पहले उस ने होने वाले पति को भी टटोला था पर उसे निराशा ही हाथ लगी, क्योंकि उस का कहना था कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
यह जवाब सुन कर ज्योति को समझ आ गया कि ऐसे परिवार में शादी करना घाटे का सौदा और भविष्य के लिहाज से नुकसानदेह है. इस आपबीती पर ज्योति की भड़ास सोशल मीडिया के जरिए निकली, तो लोगों ने उसे हाथोंहाथ लिया. उस के फैसले व हिम्मत की दाद दी. बकौल ज्योति उन हजारोंलाखों युवतियों के लिए लिख रही है, जो इन हालात से गुजरती हैं पर कुछ बोल नहीं पातीं.
ज्योति के मामले में नया इतनी पुष्टि भर होना है कि सांवलेपन के प्रति सामाजिक नजरिया यथावत है, बावजूद इस के कि हम सांवले देश में रहते हैं, जहां की लगभग 70 फीसदी आबादी सांवलों की है. सच यह भी है कि सांवलेपन की त्रासदी लड़की को ही भुगतनी पड़ती है और वह भी जन्म से. अगर लड़की पैदा हो तो मातापिता का मुंह उतर जाता है और अगर वह सांवली भी हो तो बात नीम चढ़ा करेला सरीखी हो जाती है. उलट इस के अगर लड़का एकदम कालाकलूटा हो तो भी किसी के चेहरे पर शिकन तक नहीं आती.