हिंदी फिल्म जगत में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी अभिनेत्री सोनम कपूर ने फिल्म ‘ब्लैक’ में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया. इस के बाद उन्हें फिल्म ‘सांवरिया’ में बतौर अभिनेत्री काम करने का मौका मिला. फिल्म सफल नहीं रही, पर उन्हें ‘सुपरस्टार औफ टुमारो’ का खिताब मिला.

आलोचकों ने उन की जम कर आलोचना की, पर सोनम चुप रह कर अपने को सिद्ध करने में लगी रहीं. उन्होंने कई फिल्में कीं, जिन में ‘दिल्ली 6’, ‘रांझना’, ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘खूबसूरत’, ‘डौली की डोली’, ‘नीरजा’ आदि प्रमुख हैं. फिल्म ‘नीरजा’ उन के कैरियर की सब से बेहतरीन फिल्म है.

सोनम कहती हैं, ‘‘फिल्म ‘नीरजा’ ने मेरे जीवन के माने बदल दिए. इसे करते हुए हर पल मुझे नारीशक्ति और आत्मविश्वास का एहसास हुआ, जो मुझे किसी भी फिल्म के दौरान नहीं हुआ था. ऐसी फिल्में मुझे बहुत प्रेरित करती हैं. मैं अवार्ड के लिए फिल्में नहीं करती, लेकिन अगर मिल जाए, तो अच्छा फील करती हूं. दर्शकों ने मेरी हर फिल्म को प्यार दे कर मेरा साथ दिया.’’

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हंसमुख स्वभाव की सोनम को इंडस्ट्री में आए 10 साल हो गए हैं. वे इसे बड़ी उपलब्धि मानती हैं. वे बताती हैं, ‘‘इंडस्ट्री में मेरी हमेशा ग्रोथ ही हुई है. हर फिल्म से मैं ने कुछ न कुछ सीखा. हर सुबह काम पर जाने की इच्छा मेरी शुरू से रही है.’’ सोनम का परिवार खुले विचारों वाला है. शुरू से उन्होंने उन्हें हर तरह की आजादी दी.

सोनम का कहना है, ‘‘मेरे परिवारवालों ने कभी यह नहीं कहा कि तुम कुछ नहीं कर सकती, बल्कि यही कहा कि तुम कुछ भी कर सकती हो. मेरी शादी के बारे में भी उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा. ‘‘फिल्मों का चयन हो या पर्सनल लाइफ सब में मेरी इच्छा होती है. मुझ पर कभी किसी तरह का प्रैशर नहीं रहा. इस से मुझे हमेशा आत्मविश्वास मिला और मैं आगे बढ़ती गई. मगर इंडस्ट्री ने मुझे यह एहसास अवश्य करवाया कि मैं हीरो से कम हूं. वे मुझे छोटा और हीरो को बड़ा रूम देने की बात कहते थे. मुझे बहुत अजीब लगा था, क्योंकि मेरे घर में कभी लड़के और लड़की में कोई अंतर मैं ने नहीं देखा है. मैं ने हमेशा ऐसी बातों का विरोध भी किया है. मुझे जो सही नहीं लगता है मैं उस का विरोध करती हूं. इसलिए लोग मुझे भलाबुरा भी कहते हैं, पर मैं उसे नजरअंदाज करती हूं.’’

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