रेटिंग : दो स्टार
गांव के पुरुष के अत्याचार से अकाल मृत्यु प्राप्त लड़की भूतनी बनकर किस तरह पूरे गांव के मर्दों से बदला लेती है, उसी की कहानी है फिल्म ‘‘रिस्कनामा’’. पर पूरे परिवार के साथ देखने योग्य नही है.
फिल्म की कहानी राजस्थान के एक गांव की है, जहां के सरपंच शेरसिंह गुर्जर (सचिन गुर्जर) का हुकुम ही सर्वोपरी है. कोई भी इंसान उनके खिलाफ जाने की जुर्रत नही करता. पंचायत के सभी सदस्य शेरसिंह की ही बात का समर्थन करते हैं. शेरसिंह का दावा है कि वह हर काम देश व समाज की संस्कृति को बचाने व गांव की भलाई के लिए ही करते हैं. शेरसिंह के गांव में प्यार करना अपराध है. जो युवक व युवती प्यार करते हुए पकड़े जाते हैं, उन दोनों को शेरसिंह मौत की नींद सुला देता है. गांव के काका (प्रमोद माउथो) की लड़की दामिनी जब एक लड़के राजू के प्यार में पड़कर गांव से बाहर जा रही होती है, तो काका पंचायत पहुंचते हैं, जहां प्रेम की सजा मौत सुनाई जाती है. सरपंच शेरसिंह का मानना है कि दामिनी अपनी मनमर्जी से राजू के साथ गयी है. दोनो को ढूंढकर मौत की सजा दी जाए. गांव के लोग दामिनी व राजू को ढूंढकर लाते हैं, और दोनों को मौत की नींद सुला दिया जाता है. पर दामिनी भूतनी बनकर एक पेड़ पर रहने लगती है. उसके बाद आए दिन किसी न किसी गांव के युवक का शव गांव के उसी पेड़ पर लटकते हुए मिलता है, जिस पर दामिनी के भूत ने कब्जा जमा रखा है.