सिनेमा किसे नहीं पसंद होता. पर फिल्में हमेशा मनोरंजन के लिए नहीं होती, ये हमें बहुत कुछ सिखाती भी हैं. कई शोधों में ये बात सामने आई है कि जो लोग सिनेमा देखते हैं, ना देखने वालों की तुलना में उनका दिमाग ज्यादा सक्रिय रहता है, उनमें रचनात्मकता अच्छी होती है और मानसिक तौर पर वो ज्यादा स्वस्थ होते हैं. इस खबर में हम आपको सिनेमा से जुड़ा एक रोचक जानकारी देने वाले हैं.
हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि सिनेमा, थिएटर जैसे माध्यमों से नियमित रूप से संपर्क में रहने वाले बुजुर्ग तनाव से दूर रहते हैं. तनाव एक गंभीर समस्या है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं, विशेषकर बुजुर्ग.
शोध में 50 वर्ष से ज्यादा के करीब ढाई सौ लोगों को शामिल किया गया था. इस अध्ययन में ये बात सामने आई कि लोग जो प्रत्येक दो-तीन महीने में फिल्म, नाटक या प्रदर्शनी देखते हैं, उनमें तनाव विकसित होने का जोखिम 32 फीसदी कम होता है, वहीं जो महीने में एक बार जरूर इन सब चीजों का लुत्फ उठाते हैं, उनमें 48 फीसदी से कम जोखिम रहता है.
ब्रिटेन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इन सांस्कृतिक गतिविधियों की शक्ति सामाजिक संपर्क, रचनात्मकता, मानसिक उत्तेजना और सौम्य शारीरिक गतिविधि के संयोजन में बेहद लाभकारी है.
जानकारों के मुताबिक, ये सारे माध्यम कई तरह के मानसिक विकारों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं. जब आप इन माध्यमों से जुड़ते हैं तो आपके दिमाग को काफी आराम मिलता है. वो रिलैक्स पोजिशन में होता है. खास कर के जो लोग उम्र के एक खास पड़ाव पर खड़े हैं उन्हें जरूरत है कि खुद को तनाव से दूर रखने के लिए इस तरह के माध्यमों का सहारा लें.