स्वस्थ जीवन जीने के लिए निरोगी होना बहुत जरूरी है. पर आजकल बदलते वातावरण के कारण बढ़ते प्रदूषण और खानपान में मिलावट व शुद्धता की कमी के चलते अस्थमा की बीमारी लोगों को खूब हो रही है. यह बड़ों के साथसाथ बच्चों में भी तेजी से फैल रही है. अस्थमा रोग क्या है और इस की रोकथाम के क्या उपाय हैं इस बारे में बता रहे हैं साकेत सिटी हौस्पिटल के पल्मोनोलौजिस्ट डाक्टर प्रशांत सक्सेना:
अस्थमा के लक्षण
अस्थमा के लक्षण सभी में एक जैसे नहीं होते और कई लक्षण तो ऐसे हैं, जो अन्य श्वास संबंधी बीमारियों के भी लक्षण हैं. इन लक्षणों को अस्थमा के लक्षणों के रूप में पहचानना जरूरी है. सामान्य तौर पर अस्थमा के मरीजों में छाती में जकड़न, सांस छोड़ते समय एक विशेष प्रकार की ध्वनि का निकलना, रात में और सुबह कफ की शिकायत होना और श्वास नली में हवा का प्रवाह सही ढंग से न होना जैसे प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते हैं.
जिम्मेदार कौन
अस्थमा रोग के लिए पर्यावरण प्रदूषण और आनुवांशिक कारण प्रमुख रूप से जिम्मेदार होते हैं. इसलिए जो मातापिता इस रोग से पीडि़त हैं उन के बच्चों में भी इस का खतरा बढ़ जाता है.
मौसम का असर
बरसात और शीत ऋतु में सामान्य व्यक्ति की श्वास नलिकाएं भी मामूली सी सिकुड़ जाती हैं इसलिए इस दौरान अस्थमा की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है. इन दोनों मौसम में उन व्यक्तियों को विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए जिन्हें धुआं, धूल, पालतू जानवरों और किसी दवा से ऐलर्जी हो. सर्दी के मौसम में सर्द हवाओं से सर्दीजुकाम होने की आशंका ज्यादा होती है, जिस का समय रहते इलाज न कराया जाए तो अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इस मौसम में अस्थमा के मरीज अपने शरीर को पूरी तरह से ढक कर रखें और उन के कमरे में नमी तो बिलकुल भी न हो, क्योंकि इस से फंगल इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.