गुदा के अंदर वौल्व की तरह गद्देनुमा कुशन होते हैं, जो मल को बाहर निकालने या रोकने में सहायक होते हैं. जब इन कुशनों में खराबी आ जाती है, तो इन में खून का प्रवाह बढ़ जाता है और ये मोटे व कमजोर हो जाते हैं. फलस्वरूप, शौच के दौरान खून निकलता है या मलद्वार से ये कुशन फूल कर बाहर निकल आते हैं. इस व्याधि को ही बवासीर कहा जाता है.
ऐसा माना जाता है कि कब्ज यानी सूखा मल आने के फलस्वरूप मलद्वार पर अधिक जोर पड़ता है तथा पाइल्स फूल कर बाहर आ जाते हैं. बवासीर की संभावना के कई कारण हो सकते हैं.
क्या हैं कारण..
- शौच के समय अधिक जोर लगाना
- कम रेशेयुक्त भोज्य पदार्थ का सेवन करना
- बहुत अधिक समय तक बैठे या खड़े रहना
- बहुत अधिक समय तक शौच में बैठे रहना
- मोटापा
- पुरानी खांसी
- अधिक समय तक पतले दस्त लगना
- लिवर की खराबी
- दस्तावर पदार्थों या एनिमा का अत्यधिक प्रयोग करना
- कम पानी पीना
- गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का अधिक सेवन करना आदि.
आनुवंशिक : एक ही परिवार के सदस्यों को आनुवंशिक गुणों के कारण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आना.
बाह्य संरचना : पाइल्स साधारणतया जानवरों में नहीं पाए जाते, चूंकि मनुष्य पैर के बल पर सीधा खड़ा रहता है, सो, गुरुत्वाकर्षण बल के कारण शरीर के निचले भाग में कमजोर नसों में अधिक मात्रा में रक्त एकत्रित हो जाता है, जिस से नसें फूल जाती हैं और पाइल्स का कारण बनती हैं.
शारीरिक संरचना : गुदा में पाई जाने वाली नसों को मजबूत मांसपेशियों का सहारा नहीं मिलने के कारण ये नसें फूल जाती हैं और कब्ज के कारण जोर लगता है तो फटने के कारण खून निकलना शुरू हो जाता है.