दिल्ली अब दुनिया की सब से अधिक प्रदूषित राजधानी हो गई है. इस का प्रदूषण स्तर चीन के बीजिंग को भी निरंतर पीछे छोड़ रहा है. प्रदूषण एक धीमा लेकिन पक्का हत्यारा है. आज के लोग जिन जहरीले तत्वों का सामना कर रहे हैं, वे लोगों के जीवनकाल को कई दिन या हफ्तों तक कम कर देंगे.

वायु प्रदूषण, कई स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हुआ है. विशेषरूप से फेफड़े के कैंसर से. एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, फेफड़े का कैंसर सभी तरह कैंसरों का 6.9 प्रतिशत है और पुरुषों व महिलाओं दोनों में कैंसर संबंधी मौतों में इस का योगदान 9.3 प्रतिशत है. हम में से हर एक के लिए समझना जरूरी है कि वायु प्रदूषण किस तरह से हमारे फेफड़ों और पूरे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है.

फेफड़े के कैंसर के कारण

फेफड़े के ऊतकों में कोशिकाएं जब अनियंत्रित हो कर बढ़ने लगती हैं तब अंदर एक ट्यूमर बनने लगता है, जिसे फेफड़े कैंसर या लंग कार्सिनोमा कहते हैं. यह मैटास्टासिस प्रक्रिया से पास के ऊतकों या शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. कार्सिनोमा के 2 मुख्य प्रकार हैं : लघु कोशिका लंग कार्सिनोमा (एससीएलसी) और गैरलघु कोशिका लंग कार्सिनोमा (एनएससीएलसी).

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अधिकांश मामलों में फेफड़ों के कैसर की वजह होती है लंबे समय तक धूम्रपान. हालांकि, धूम्रपान न करने वालों में भी इस का 10 से 15 प्रतिशत तक जोखिम रहता है. इस के अलावा, इस कंडीशन में योगदान देने वाले अन्य कारकों में जैनेटिक्स और वायु प्रदूषण के जरिए शरीर में पहुंचने वाले विभिन्न हानिकारक पदार्थ शामिल हैं. जिन के परिवार में पहले किसी को यह समस्या है या जिन्होंने पहले रेडिएशन थेरैपी ली है उन को भी इस स्थिति का जोखिम बना रहता है.

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